कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के लिए शशि थरूर ने हासिल किया नामांकन फार्म, संभावना- 30 सितंबर को पर्चा करेंगे दाखिल
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनावी मुकाबला आखिरी बार वर्ष 2000 में हुआ था। तब सोनिया गांधी के खिलाफ जितेंद्र प्रसाद मैदान में उतरे थे और हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद हुए चुनावों में सोनिया गांधी तीन बार तो राहुल गांधी एक बार निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया शनिवार को शुरू होते ही पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने नामांकन फार्म हासिल कर चुनावी अखाड़े में अशोक गहलोत के खिलाफ ताल ठोकने के इरादे साफ कर दिए। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए एक तरह से पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार हैं और उनका अगला अध्यक्ष चुना जाना लगभग तय है। इसके बावजूद असंतुष्ट खेमे के नेताओं में शामिल रहे शशि थरूर चुनावी मुकाबले में उतरने की तैयारी में हैं और अपने समर्थक नेताओं से चर्चा कर रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में मुकाबला गहलोत बनाम थरूर होने की पुख्ता संभावनाओं के बीच अब निगाहें इस पर पर लगी हैं कि पार्टी के कौन से नेता उनके समर्थन में सामने आते हैं। थरूर ने अपने निकट सहयोगी आलिम जावेरी के जरिये कांग्रेस केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री के कार्यालय से नामांकन फार्म हासिल किया। सूत्रों ने बताया कि थरूर नामांकन के आखिरी दिन 30 सितंबर को पार्टी मुख्यालय में पर्चा दाखिल करेंगे। थरूर के नामांकन फार्म हासिल करने के साथ ही अब यह भी लगभग साफ होता दिख रहा है कि अशोक गहलोत निर्विरोध नहीं बल्कि चुनावी मुकाबले के जरिये अध्यक्ष बनेंगे।
वर्ष 2000 में आखिरी बार हुआ था चुनावी मुकाबला
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनावी मुकाबला आखिरी बार वर्ष 2000 में हुआ था। तब सोनिया गांधी के खिलाफ जितेंद्र प्रसाद मैदान में उतरे थे और हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद हुए चुनावों में सोनिया गांधी तीन बार तो राहुल गांधी एक बार निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए। इस तरह दो दशक से भी अधिक समय बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनावी मुकाबला होने के प्रबल आसार हैं। 1997 में सीताराम केसरी के खिलाफ शरद पवार और राजेश पायलट मैदान में उतरे थे लेकिन केसरी के हाथों दोनों को मात मिली थी।
नौ हजार से ज्यादा मतदाता
कांग्रेस अध्यक्ष के मौजूदा चुनाव में 9,000 से अधिक डेलीगेट मतदान करेंगे। थरूर को नामांकन दाखिल करने के लिए अपने फार्म पर इस निर्वाचक मंडल के 10 सदस्यों के हस्ताक्षर की जरूरत होगी। अशोक गहलोत बेशक कांग्रेस के मौजूदा हाईकमान गांधी परिवार की पसंद हैं लेकिन यह भी हकीकत है कि पार्टी की अंदरूनी सियासत में हर खेमे के तमाम नेताओं से उनके अच्छे रिश्ते हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि थरूर के समर्थन में गहलोत के खिलाफ कांग्रेस के कौन से नेता खुलकर सामने आते हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी इसमें से एक प्रमुख चेहरा हैं। हालांकि पार्टी के सियासी हलकों में इस बात की भी चर्चा है कि तिवारी भी चुनावी मुकाबले में उतरने की संभावनाओं पर विचार मंथन कर रहे हैं। कांग्रेस नेतृत्व भी चुनावी मुकाबले को पार्टी के भविष्य की रणनीति के लिहाज से मुफीद मान रहा है।