अयोध्या समेत सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं कई बड़े धार्मिक व राजनीतिक मामले
कोर्ट याचिकाओं पर केन्द्र सरकार को पहले ही नोटिस जारी कर उसका जवाब मांग चुका है। अभी तक सरकार ने लिखित तौर पर कोर्ट में अपना पक्ष नहीं रखा है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। देश की बहुत बड़ी आबादी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूसरी पारी में सुप्रीम कोर्ट से धार्मिक और राजनीतिक महत्व के महत्वपूर्ण मुद्दों -जैसे राम जन्मभूमि विवाद और जम्मू कश्मीर में राज्य के निवासियों को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 व 35ए के बारे में बड़े फैसलों की उम्मीद लगाए बैठी है। ये दोनों ही मुद्दे फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। यह तय है कि इसी सरकार के कार्यकाल में कोर्ट से इन पर फैसले आ सकते हैं। सरकार मामले में क्या पक्ष रखती है यह देखना महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि दोनों ही मुद्दे भाजपा के घोषणापत्र में शामिल हैं।
बता दें कि केंद्र सरकार ने अयोध्या रामजन्मभूमि मामले में अधिगृहीत जमीन का अतिरिक्त हिस्सा भू मालिकों को वापस करने की सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इजाजत मांगी है जिस पर अभी सुनवाई होनी है। जबकि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के प्रावधान अनुच्छेद 370 और 35 ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है और सरकार को अभी इस पर लिखित जवाब देना है।
अयोध्या मामले की पांच दिसंबर 2017 की सुनवाई सभी को याद होगी। उस दिन मुस्लिम पक्षकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई का विरोध करते हुए इस मुकदमे के राजनीतिक असर का हवाला दिया था और सुनवाई 2019 के आम चुनाव के बाद जुलाई में करने की मांग की थी। हालांकि उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टालने की उनकी दलील खारिज कर दी थी और मामले को आठ फरवरी 2018 को सुनवाई पर लगाए जाने का आदेश दिया था। उसके बाद भी कई तारीखें लगीं, लेकिन मुख्य मामले पर अभी तक सुनवाई शुरू नहीं हुई।
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि विवाद मध्यस्थता के जरिये सुलझाने की संभावनाएं तलाशने के लिए मध्यस्थों को 15 अगस्त तक का समय दिया हुआ है। ऐसे में अगली सुनवाई 15 अगस्त के बाद ही होगी। मामले में सरकार का रुख और कोर्ट का फैसला देश की राजनीति पर असर डाल सकता है।
देश के लिए दूसरा बड़ा राजनीतिक मुद्दा जम्मू- कश्मीर में राज्य के निवासियों को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 और 35ए है। भाजपा के घोषणापत्र में भी इन दोनों प्रावधानों को हटाने की बात कही गई है। उधर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिकाएं लंबित हैं जिनमें इन्हें हटाने और सभी भारतीय नागरिकों के साथ समान व्यवहार करने की मांग की गई है।
कोर्ट याचिकाओं पर केंद्र सरकार को पहले ही नोटिस जारी कर उसका जवाब मांग चुका है। अभी तक सरकार ने लिखित तौर पर कोर्ट में अपना पक्ष नहीं रखा है। अनुच्छेद 35ए पर तो कई बार से जम्मू-कश्मीर राज्य के अनुरोध पर सुनवाई टल रही है। राज्य का कहना था कि अभी फिलहाल राज्य में चुनी हुई सरकार नहीं है, इसलिए कोर्ट चुनी हुई सरकार आने तक मामले पर सुनवाई न करे। मामले में केंद्र सरकार भी पक्षकार है। एनडीए सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर क्या रुख अपनाती है वह देखना महत्वपूर्ण होगा।
राफेल पर भी आना है फैसला
राफेल सौदे की जांच की मांग वाली पुनर्विचार याचिकाओं पर भी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है। राफेल का मामला भी राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण है। कांग्रेस ने इसे लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाया था।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप