NCP के वरिष्ठ नेता डीपी त्रिपाठी का निधन, लंबे समय से कैंसर से थे पीड़ित
एनसीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद डीपी त्रिपाठी का आज दिल्ली में निधन हो गया है। दरअसल वह काफी दिनों से बीमार थे।
नई दिल्ली, एएनआइ। वरिष्ठ एनसीपी नेता और पूर्व सांसद, डीपी त्रिपाठी का आज (गुरूवार) दिल्ली में निधन हो गया है। दरअसल, वह कैंसर से जूझ रहे थे। दिल्ली के मैक्स अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांसे ली। डीपी त्रिपाठी का पूरा नाम देवी प्रसाद त्रिपाठी है। फिलहाल, उन्होनें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के महासचिव के तौर पर पार्टी की जिम्मेदारी संभाली हुई थी। त्रिपाठी को एनसीपी प्रमुख शरद पवार का बेहद करीबी माना जाता था। पिछले साल ही राज्यसभा से उनका कार्यकाल समाप्त हुआ था। 1968 में राजनीति में कदम रखने वाले त्रिपाठी को अच्छे वक्ताओं में शुमार किया जाता है।
सुप्रिया सुले ने जताया दुख
डीपी त्रिपाठी ने निधन पर शोक व्यक्त करते हुए एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि डीपी त्रिपाठी के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ। ने एनसीपी के महासचिव थे। वह हम सभी का संरक्षक और मार्गदर्शक थे। हम उनके परामर्श और मार्गदर्शन को याद करेंगे जो उन्होंने एनसीपी की स्थापना होने के बाद से दिया है। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें। उनके निधन पर पार्टी के वरिष्ठ नेता नेता प्रफुल्ल पटेल ने भी शोक जताया। उन्होंने कहा कि अपने सहयोगी डीपी त्रिपाठी के निधन से गहरा सदमा लगा है।
त्रिपाठी ने निधन से पैदा हुआ खालीपन: भुजबल
महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि त्रिपाठी के निधन ने एक खालीपन पैदा कर दिया है जिसे फिर से नहीं भरा जा सकता है। उनके निधन से पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ है। भुजबल ने ट्वीट किया, 'एनसीपी ने एक वरिष्ठ गुरु को हमेशा के लिए खो दिया है।' राकांपा के मुख्य प्रवक्ता और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने भी त्रिपाठी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्व राज्यसभा सदस्य ने पार्टी के आधार के विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में हुआ था जन्म
देवी प्रसाद त्रिपाठी का जन्म 6 जनवरी 1954 में सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश में हुआ था। त्रिपाठी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष थे। इतना ही नहीं उन्होंने बाद में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राजनीति के प्रोफेसर के रूप में पढ़ाया गया।
16 साल की उम्र में की थी राजनीति शुरुआत
16 साल की उम्र में उन्होंने राजनीति में कदम लिखा था। वह बहुत ही जल्द पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सहयोगियों में से एक बन गए। हालांकि, उन्होंने बाद में सोनिया गांधी के विरोध में पार्टी छोड़ दी थी। इसके बाद वह वर्ष 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए, औप बाद में पार्टी के महासचिव और मुख्य प्रवक्ता बन गए।