भारत व चीन के रिश्तों पर भारी पड़ेगा दूसरा 'डोकलाम', आपसी सहमति से सीमा विवाद का निपटारा हो
भारत में चीन के राजदूत लुओ झाओहुई ने चीन, भारत व पाकिस्तान के बीच त्रिपक्षीय सहयोग शुरु करने का आह्वान भी किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वुहान में पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात से बदले माहौल के बाद चीन ने साफ तौर पर संकेत दिया है कि भारत उसके साथ मौजूदा हर तनाव को दूर करने के लिए आगे आये। भारत में चीन के राजदूत लुओ झाओहुई ने कहा है कि दोनो देशों के रिश्ते दूसरे डोकलाम जैसी घटनाएं नहीं बर्दाश्त कर सकती हैं। ऐसे में सीमा विवाद जैसे मामलों का ऐसे समाधान निकालने की कोशिश होनी चाहिए जो दोनो पक्षों को स्वीकार हो। झाओहुई ने दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत की शुरुआत करने और चीन, भारत व पाकिस्तान के बीच त्रिपक्षीय सहयोग शुरु करने का आह्वान भी किया है।
चीन, पाकिस्तान व भारत के बीच त्रिकोणीय सहयोग संभव: चीनी राजदूत
1. दोस्ती व सहयोग पर हो नया समझौता
2. मुक्त व्यापार समझौते पर शुरु हो बातचीत
3. कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर हो सहयोग
4. सीमा विवाद से जुड़े विवाद का शीघ्र निपटारे के लिए उठे कदम
चीन के राजदूत ने दोनो देशों के रिश्तों को सुधारने का अपना चार सूत्रीय एजेंडा भी दिया है। चीन के राजदूत की तरफ से इस तरह से खुल कर बयान देने की परंपरा नहीं रही है। ऐसे में झाओहुई की तरफ से आये प्रस्ताव को कूटनीतिक सर्किल में चीन की सरकार का प्रस्ताव ही माना जा रहा है।
उन्होने कहा कि कुछ भारतीय मित्रों ने शंघाई सहयोग संगठन के तहत भारत, चीन व पाकिस्तान के बीच त्रिपक्षीय सहयोग शुरु करने की बात कही है जो एक बेहद सकारात्मक सुझाव है। यह संभव है क्योंकि जब रूस, चीन व मंगोलिया के बीच सहयोग हो सकता है तो फिर इन तीनों देशों के बीच क्यों नहीं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि यह अभी नहीं, लेकिन बाद में संभव है।
भारत व चीन के भविष्य के रिश्तों की दशा व दिशा तय करने के लिए उन्होंने चार सूत्रीय फार्मूला दिया है जिसमें पहला है दोस्ती व सहयोग पर एक व्यापक समझौता करना।
दूसरा सुझाव मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता शुरु करने को लेकर है। यह इसलिए लिहाज से महत्वपूर्ण है कि चीन और अमेरिका में अभी कारोबार को लेकर युद्द हो रहा है। इस बारे में चीन व भारत के विचार एक जैसे है। हालांकि चीनी राजदूत जानते हैं कि भारत को इस बारे में कई तरह की आशंकाएं है। लिहाजा उन्होंने बताया कि चीन भारत से आयात बढ़ाने की लगातार कोशिश कर रहा है।
भारत व चीन वर्ष 2022 तक 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय कारोबार का लक्ष्य ले कर चल रहे हैं। उन्होंने अमेरिका का नाम लिये बगैर कहा कि जिस तरह से बड़ी शक्तियां विकासशील देशों को आर्थिक तौर पर दबाने की कोशिश कर रही उसे देखते हुए भारत व चीन के बीच बड़े सहयोग की संभावनाएं हैं।
चीन के राजदूत का तीसरा सुझाव यह है कि कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर साझा अभियान हो। इस संदर्भ में उन्होंने बताया कि दोनों देश अफगानिस्तान में इस तरह का कार्यक्रम शुरु कर सकते हैं। इसकी शुरुआत अफगानिस्तान के सरकारी अधिकारियों को संयुक्त तौर पर प्रशिक्षण देने से हो रही है।
उनका चौथा सुझाव यह है कि सीमा विवाद का निपाटारा शीघ्र हो और यह विशेष प्रतिनिधियों के जरिए हो। सनद रहे कि भारत व चीन के बीच विशेष प्रतिनिधियों के जरिए सीमा विवाद का निपटारा करने के लिए बातचीत चल रही है। इसकी अगली बैठक बीजिंग में इसी वर्ष होने वाली है।