2013 भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन को लेकर पांच राज्यों से जवाब-तलब
मेधा पाटकर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और झारखंड को भेजा नोटिस।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण से जुड़े 2013 के केंद्रीय कानून में कुछ खास संशोधन करने पर पांच राज्यों से जवाब-तलब किया है। एक याचिका के जरिए इन संशोधनों की वैधता को चुनौती दी गई है।
जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने इन संशोधनों को खत्म करने की मांग वाली याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार भी कर लिया है। भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनस्र्थापना में उचित मुआवजा और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 में गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और झारखंड ने विरोधाभासी संशोधन किए हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और अन्य की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि इन राज्यों द्वारा किए गए संशोधनों से भू-स्वामियों और किसानों की जीविका के अधिकार पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। याचिका में कहा गया है कि राज्यों द्वारा किया गया संशोधन नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन भी है क्योंकि इसके जरिए सहमति के प्रावधान, सामाजिक प्रभाव का आकलन, भूमि अधिग्रहण में स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों की भागीदारी जैसे मुख्य पहलुओं को हटा दिया गया है।
याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि भूमि अधिग्रहण में लोगों की सहमति सुनिश्चित करना कानून का मूल तत्व था, लेकिन इन राज्यों ने संशोधन के जरिए इस अहम पहलु को ही खत्म कर दिया है। पीठ ने कहा कि कानून के मुताबिक राज्यों को संशोधन करने का अधिकार है। अगर राज्य विधानसभा संशोधनों को पास करती है तो हम राज्यों से यह नहीं कह सकते कि वह ऐसा नहीं कर सकती है।