Move to Jagran APP

मोदी सरकार ने राज्यसभा में तोड़ा विपक्षी एकता का तानाबाना, आरटीआइ संशोधन बिल पारित

राज्यसभा में फिलहाल राजग और विपक्ष के संख्या बल में बहुत कम अंतर रह गया है और थोड़े बदलाव से ही पूरा परिदृश्य बदल जाएगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 25 Jul 2019 10:03 PM (IST)Updated: Fri, 26 Jul 2019 09:46 AM (IST)
मोदी सरकार ने राज्यसभा में तोड़ा विपक्षी एकता का तानाबाना, आरटीआइ संशोधन बिल पारित
मोदी सरकार ने राज्यसभा में तोड़ा विपक्षी एकता का तानाबाना, आरटीआइ संशोधन बिल पारित

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। 16वीं लोकसभा के कार्यकाल में सरकारी विधेयकों के पारित होने में बड़ी बाधा रही राज्यसभा में सरकार ने गुरुवार को विपक्षी एकजुटता का तानाबाना तोड़ दिया। एक दिन पहले ही कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने सूचना के अधिकार (आरटीआइ) संशोधन और तत्काल तीन तलाक सहित सात विधेयकों का रास्ता रोकने की रणनीति तैयार की थी।

loksabha election banner

बीजू जनता दल (बीजद) और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने सरकार का साथ देकर आरटीआइ संशोधन विधेयक पारित करा दिया। अब ये अटकलें भी तेज हो गई हैं कि तत्काल तीन तलाक सहित कुछ दूसरे विधेयकों पर भी राज्यसभा में विपक्ष का अब तक का बहुमत अल्पमत में बदल सकता है।

एक दिन पहले ही विपक्ष की रणनीति तय हुई थी और उस पर हस्ताक्षर करने वालों में बीजद और टीआरएस भी शामिल थे। अपुष्ट सूत्रों के अनुसार, संभवत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से बात की और फिर बीजद का रुख बदल गया।

दो दिन पहले लोकसभा में दोनों दलों ने आरटीआइ संशोधन विधेयक का विरोध किया था। राज्यसभा में विधेयक के समर्थन में 117 मत पड़े जबकि विरोध में सिर्फ 75 मत पड़े।

हालांकि कांग्रेस सहित दूसरे विपक्षी दलों ने इस बीच हंगामे का कोई मौका नहीं छोड़ा। मतदान के बाद हार देखकर वे सदन से वॉकआउट कर गए। इससे पहले सरकार ने आरटीआइ संशोधन विधेयक पर विपक्ष की सारी आशंकाओं का एक-एक करके जवाब दिया।

सरकार ने कहा कि इस संशोधन के जरिये सिर्फ सेवा शर्तो और वेतन-भत्तों में बदलाव किया जा रहा है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि मुख्य सूचना आयुक्त का दर्जा सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश या मुख्य चुनाव आयुक्त जैसा नहीं है। मौजूदा कानून के तहत मुख्य सूचना आयुक्त का दर्जा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के बराबर रखा गया था।

केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि इस संशोधन से आरटीआइ की स्वायत्ता और अधिकारों में किसी भी तरह की कोई आंच नहीं आएगी।

राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने सरकार पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार संसद को भी सरकारी विभाग की तरह चलाना चाहती है। उन्होंने कहा कि ऐसी सरकार पर उन्हें कोई भरोसा नहीं है।

कांग्रेस इस पूरे मामले से इसलिए भी नाखुश थी क्योंकि वह संशोधन विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने पर अड़ी थी, लेकिन सरकार ने उसकी बात नहीं मानी। लोकसभा से आरटीआइ संशोधन विधेयक पहले ही पारित हो चुका है। ऐसे में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जहां से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून का रूप ले लेगा।

दरअसल, कांग्रेस के लिए इस विधेयक का पारित होना एक बड़ा झटका है। अब तत्काल तीन तलाक विधेयक राज्यसभा में आना है। राजग का घटक दल जदयू इसके विरोध में है, लेकिन बीजद समर्थन में।

देखना होगा कि सरकार उस विधेयक पर विपक्ष की रणनीति को कैसे तोड़ेगी। ध्यान रहे कि राज्यसभा में फिलहाल राजग और विपक्ष के संख्या बल में बहुत कम अंतर रह गया है और थोड़े बदलाव से ही पूरा परिदृश्य बदल जाएगा।

#Triple Talaq Bill: लोकसभा में तीन तलाक बिल तीसरी बार पास, आजम खान की टिप्पणी पर हंगामा

#लोगों को परेशान करने वाले 58 और पुराने कानून होंगे खत्म, सरकार ने सदन में पेश किया विधेयक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.