टीएमसी के बाद RJD का 'मॉब लिंचिंग' मामले में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस
संसद का मानसून सत्र राजनीतिक सरगर्मियों के अतिरिक्त कामकाज के लिहाज से भी अहम रहने वाला है।
नई दिल्ली, जेएनएन। संसद का मानसून सत्र आज से शुरू हो रहा है। सत्र के हंगामेदार रहने की पूरी संभावना है। इसका अंदाजा एक दिन पहले ही तब लग गया, जब कांग्रेस एलान किया कि वो सरकार के खिलाफ आविश्वास प्रस्ताव लाएगी। इधर भीड़ की हिंसा यानि मॉब लिंचिंग मामले पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सांसद जेपी यादव ने भी स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दे दिया है।
इधर सीपीआई सांसद डी राजा ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं और स्वामी अग्निवेश पर हमले को लेकर राज्यसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया।
लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि अविश्नास प्रस्ताव के मुद्दे पर दूसरे विपक्षी दलों से बातचीत हुई और इस बात पर सहमत हैं कि जनविरोधी और जुमलेबाज सरकार की सच्चाई को जनता के सामने लाने की जरूरत है। विपक्षी दलों जिसमें एसपी, बीएसपी, एनसीपी, आईयूएमएल और आरजेडी ने स्पीकर को हस्ताक्षर हुआ ज्ञापन दिया है, जिसमें जिक्र है कि भाजपा नियम और कानून को धता बताते हुए मनमाने ढंग से फैसला करती है। इन सबके बीच राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सभी दलों से अपील करते हुए कहा कि आप लोगों को बजट सेशन के हंगामे को भूल कर आगे बढ़ने की जरूरत है।
बुधवार से शुरू हो रहा संसद का मानसून सत्र राजनीतिक सरगर्मियों के अतिरिक्त कामकाज के लिहाज से भी अहम रहने वाला है। 22 दिन चलने वाले इस सत्र में सरकार का इरादा 18 विधेयक पेश करने का है। इन विधेयकों में गैर-कानूनी डिपॉजिट स्कीमों पर लगाम लगाने से लेकर एमएसएमई क्षेत्र के लिए टर्नओवर के लिहाज से परिभाषा में बदलाव करने वाले विधेयक शामिल हैं। इसके अतिरिक्त सरकार उन विधेयकों को भी मानसून सत्र में लाने का रास्ता निकालने की तैयारी में है जिन्हें लोकसभा में तो पेश किया जा चुका है, लेकिन अभी तक विभिन्न विभागों से संबंधित संसद की स्थायी समितियों के पास विचारार्थ नहीं भेजा जा सका है।
सरकार की कोशिश है कि इन विधेयकों पर भी इसी सत्र में चर्चा कराकर इन्हें पारित करा लिया जाए। इनमें उपभोक्ता संरक्षण कानून, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड और फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ओफेंडर्स बिल शामिल हैं। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड और फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ओफेंडर्स कानून को सरकार अध्यादेश के जरिए लागू कर चुकी है। अब इन्हें इस सत्र में पारित कराना सरकार की प्राथमिकता पर रहेगा।