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जानिए कैसे बिहार विधानसभा समेत कई राज्यों में हुए उपचुनावों के नतीजों ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को दिया बल

पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की खींची लंबी लकीर के बाद पार्टी की कमान संभालना किसी के लिए आसान नहीं है। लेकिन नड्डा ने बिहार जैसे राज्य में जीत के साथ यह संकल्प दिखाया है कि वह शाह की लकीर को और आगे ले जा सकते हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 07:07 PM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 07:10 PM (IST)
जानिए कैसे बिहार विधानसभा समेत कई राज्यों में हुए उपचुनावों के नतीजों ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को दिया बल
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को शुभकामना देते हुए गृह मंत्री अमित शाह

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार विधानसभा और उसके साथ कई राज्यों में हुए उपचुनावों के नतीजों ने जहां भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को बड़ा बल दे दिया है। औपचारिक रूप से अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद अपने पहले बड़े चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की है। वहीं प्रदेशों मे भी भविष्य के चेहरों की खोज तेज हो सकती है। संभवत: प्रदेशों में आपसी संघर्ष भी दिख सकता है। मध्य प्रदेश और कर्नाटक विशेष रूप से नजरों में होगा जहां एक तीसरे मजबूत चेहरे के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया और बीवाई विजयेंद्र ने सफलता हासिल की है।

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पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की खींची लंबी लकीर के बाद पार्टी की कमान संभालना किसी के लिए आसान नहीं है। लेकिन नड्डा ने बिहार जैसे राज्य में जीत के साथ यह संकल्प दिखाया है कि वह शाह की लकीर को और आगे ले जा सकते हैं। बिहार का प्रभाव अगले ही साल होने वाले पश्चिम बंगाल और असम पर भी दिख सकता है। अगर पश्चिम बंगाल भाजपा की झोली में आई तो नड्डा भाजपा की कल्पना को उंचाइयों पर ले जाने वाले अध्यक्ष साबित होंगे।

अमित शाह ने नड्डा के घर में जाकर दी बधाई

बुधवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नड्डा के घर जाकर उन्हें बधाई देकर इसका संकेत भी दे दिया है कि बिहार की जीत किस कदर मायने रखती है। अब जब भाजपा प्रदेश में नंबर दो आने के बावजूद स्ट्राइक रेट के लिहाज से नंबर है तो आने वाले वक्त में यह तय होगा कि भविष्य का चेहरा कौन हो सकता है। जाहिर तौर पर पार्टी को सबसे पहले यही तय करना होगा कि पिछले यही तय करना होगा कि नेतृत्व किस जाति के हाथ में जाए। दरअसल पिछले तीस चालीस साल में परंपरागत रूप से नेतृत्व ओबीसी या पिछड़ी जातियों के हाथों में रहा है।

बहरहाल, बिहार से इतर प्रदेशों में हुए उपचुनावों ने ऐसे चेहरों को खड़ा कर दिया है जो अपनी क्षमता साबित कर चुके हैं और उन्हें लंबे वक्त तक नजरअंदाज नहीं किया जा सकेगा। कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं। दरअसल उपचुनाव में भाजपा से ज्यादा ज्योतिरादित्य की नाक फंसी थी और अब जबकि उन्होंने 20 विधायकों की जीत सुनिश्चित कर ली है तो इससे इनकार करना मुश्किल है कि प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और नरेंद्र सिंह तोमर खेमे के बाद अब सिंधिया खेमा भी सिर तानकर खड़ा रहेगा।

यूपी की जीत का श्रेय सीएम योगी आदित्यनाथ के खाते में

उत्तर प्रदेश की जीत का सारा श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खाते में गया है जिनके खिलाफ अलग अलग खेमा मोर्चा खोले बैठा है। यह इसलिए अहम है क्योंकि अगले डेढ़ साल में वहा चुनाव है। तो कर्नाटक की जीत का श्रेय खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा को दे दिया है। यह सार्वजनिक है कि वहां भी भाजपा के अंदर एक खेमा येद्दयुरप्पा के खिलाफ है। पर उससे भी रोचक यह है कि इस चुनाव ने येद्दयुरप्पा के साथ साथ उनके पुत्र और प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र को चमका दिया है। पिछले साल विजयेंद्र ने जदएस के मजबूत गढ़ केआर पेट को पार्टी के लिए जीता था। इस बार सीरा विधानसभा क्षेत्र को भाजपा में जोड़ दिया। यह असंभव जीत मानी जा रही थी क्योंकि जातिगत समीकरण के लिहाज से भी वह भाजपा के अनुकूल नहीं थी। पचास वर्षो में पहली बार भाजपा सीरा में जीती है और इसीलिए विजयेंद्र को वहां अर्जुन तक कहा जाने लगा है।


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