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विश्वविद्यालयों में प्राध्यापकों की आरक्षण प्रणाली संबंधित अध्यादेश अब कैबिनेट के हवाले

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विश्वविद्यालयों में प्राध्यापकों के लिए आरक्षण प्रणाली से संबंधित एक अध्यादेश कैबिनेट के पास अनुमोदन के लिए भेज दिया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 11:28 PM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 11:28 PM (IST)
विश्वविद्यालयों में प्राध्यापकों की आरक्षण प्रणाली संबंधित अध्यादेश अब कैबिनेट के हवाले

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विश्वविद्यालयों में प्राध्यापकों के लिए आरक्षण प्रणाली से संबंधित एक अध्यादेश कैबिनेट के पास अनुमोदन के लिए भेज दिया है। अगर कैबिनेट से अध्यादेश पर मुहर लग जाती है तो केंद्र सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पुनर्विचार याचिका वापस ले लेगा।

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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 11 फरवरी को लोकसभा में कहा था, 'अगर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज हो जाती है तो सरकार अध्यादेश ला सकती है।' एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया, 'मंत्रालय ने एक सप्ताह पहले सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है, लेकिन अभी उस पर सुनवाई तय नहीं है। इसलिए, दो-तीन दिनों पहले एक अध्यादेश कैबिनेट के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया है। अगर इसे हरी झंडी मिल जाती है तो सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पुनर्विचार याचिका वापस ले ली जाएगी।'

200 प्वाइंट रोस्टर को फिर लागू करने की उठ रही मांग
अप्रैल 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पिछले वर्ष मार्च में घोषणा की थी कि प्राध्यापक पद के आरक्षण की गणना में विभागों को आधार इकाई माना जाना चाहिए। इसके अनुसार ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए पदों का आरक्षण होना चाहिए। इसे लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी।

इसके खारिज हो जाने पर केंद्र ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की। छात्र व शिक्षक संगठन प्राध्यापक पदों पर आरक्षण के लिए 200 प्वाइंट रोस्टर को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं। इसके अनुसार आरक्षण के लिए कालेज और विवि को इकाई माना जाता रहा है।


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