ओबीसी की क्रीमीलेयर के दायरे में बढ़ोत्तरी की सिफारिश
ओबीसी के उत्थान के लिए गठित कमेटी ने सरकार को दिया सुझाव। मौजूदा समय में क्रीमीलेयर के दायरे में सलाना आठ लाख से ज्यादा आय वाले है शामिल।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उत्थान के लिए गठित कमेटी ने क्रीमीलेयर के आय के दायरे को एक निश्चित अंतराल पर बढ़ाने की सिफारिश की है। कमेटी ने सरकार को इसे लेकर एक रिपोर्ट भी दी है, जो सोमवार को संसद के दोनों सदनों में पेश की गई।
कमेटी ने अपनी सिफारिश में कहा है कि जिस तरीके से शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन के खर्चो के बढ़ोत्तरी हो रही है, ऐसे में क्रीमीलेयर के आय के दायरे में बढ़ोत्तरी जरूरी है। मौजूदा समय में ओबीसी के क्रीमीलेयर का दायरा सलाना आठ लाख रूपए है। यानि इससे ज्यादा सलाना आमदनी वाले क्रीमीलेयर में शामिल होते है।
कमेटी ने अपनी सिफारिश में ओबीसी आरक्षण के लिए नॉन-क्रीमीलेयर सर्टिफिकेट जारी करने सिफारिश पर अमल न होने पर भी नाखुशी जताई है। कमेटी का कहना है कि इस सर्टिफिकेट को जारी करने की सहमति 1993 में दिए गए निर्देशों में ही दिया गया था, लेकिन अब तक इस पर कोई अमल नहीं हो सका है। कमेटी ने इसके लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को जरूरी उपाय करने को कहा है।
कमेटी ने ओबीसी के दायरे में आने वाले क्रीमीलेयर को आगे बढ़ाने के लिए और भी सुझाव दिए है। फिलहाल इनमें सबसे बड़ा सुझाव क्रीमीलेयर के आय के दायरे को बढ़ाने का है। क्रीमीलेयर का दायरे का निर्धारण 1993 में पहली बार किया गया था। उस समय एक लाख तक की सलाना आय से अधिक को इस दायरे में रखा गया है।
हालांकि इन 26 सालों में यह दायरा बढ़कर अब आठ लाख रूपए हो गया है। बावजूद इसके इसे बढ़ाने की अभी भी जरूरत महसूस की जा रही है। पिछले दिनों में ओबीसी के उत्थान से जुड़ी एक ऐसी ही कमेटी ने इस दायरे को बढ़ाकर 12 लाख रुपये तक रखने की सिफारिश की थी। हालांकि सरकार ने इसे माना नहीं है।
गौरतलब है कि ओबीसी में क्रीमीलेयर का यह फार्मूला सरकार ने कोर्ट के आदेश पर तैयार किया है। इसका मुख्य मकसद ओबीसी आरक्षण का लाभ सही लोगों तक पहुंचाना है। सरकार फिलहाल ओबीसी की पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए जस्टिस रोहिणी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है। जो ओबीसी की जातियों के वर्गीकरण के काम में जुटी है।
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