Move to Jagran APP

महाराष्ट्र में दो गठबंधनों की सीधी टक्कर में खेल बिगाड़ सकते हैं बागी नेता

पश्चिम महाराष्ट्र के अपने इसी किले को बचाने के लिए 80 वर्षीय शरद पवार आज बरसात में भीगते हुए सभाएं करते दिखाई दे रहे हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 09:06 PM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 09:06 PM (IST)
महाराष्ट्र में दो गठबंधनों की सीधी टक्कर में खेल बिगाड़ सकते हैं बागी नेता
महाराष्ट्र में दो गठबंधनों की सीधी टक्कर में खेल बिगाड़ सकते हैं बागी नेता

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। वैसे तो पूरे महाराष्ट्र में इस बार भाजपा-शिवसेना और कांग्रेस-राकांपा गठबंधन की सीधी टक्कर दिखाई दे रही है, लेकिन कई स्थानों पर बागी उम्मीदवार भाजपा-शिवसेना का, तो वंचित बहुजन आघाड़ी और एमआईएम जैसे दल कांग्रेस-राकांपा का खेल बिगाड़ते दिखाई दे रहे हैं।

loksabha election banner

पांच क्षेत्रों में बंटे महाराष्ट्र में सबसे बड़ा कोंकण है

प्रशासनिक दृष्टि से पांच क्षेत्रों में बंटे महाराष्ट्र में सबसे बड़ा कोंकण क्षेत्र है। 75 सीटों वाले इसी क्षेत्र का हिस्सा 36 सीटों वाली देश की आर्थिक राजधानी मुंबई भी है। इसी क्षेत्र के दो जिलों सिंधुदुर्ग और रत्नागिरि में भाजपा-शिवसेना आपस में ही भिड़ती दिखाई दे रही हैं।

बड़ी आबादी प्रवासियों की

महानगर होने के कारण मुंबई, ठाणे, नई मुंबई, कल्याण और पालघर आदि में बड़ी आबादी अन्य राज्यों से आकर यहीं बस गए प्रवासियों की भी है। इनमें बड़ी संख्या रखनेवाले उत्तर भारतीय कभी कांग्रेस का वोटबैंक समझे जाते थे। अब इनका बड़ा हिस्सा भाजपा के साथ दिख रहा है। क्योंकि इस वर्ग के कृपाशंकर सिंह जैसे नेता स्वयं कांग्रेस को अलविदा कह चुके हैं, और संजय निरुपम नाराज चल रहे हैं।

ठाकरे परिवार का सदस्य पहली बार चुनाव मैदान में

मुंबई की लड़ाई में यह पहला अवसर है, जब ठाकरे परिवार का कोई सदस्य, यानी शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे मैदान में हैं। नालासोपारा में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा भी शिवसेना के ही टिकट पर बाहुबली हितेंद्र ठाकुर के परिवार से भिड़ रहे हैं। मीरा रोड – भायंदर में भाजपा की बागी गीता जैन कांग्रेस उम्मीदवार मुजफ्फर हुसैन की राह आसान करती दिखाई दे रही हैं। मुंबई में बुनियादी ढांचा बड़ी समस्या रहा है। लेकिन लोगों को काम होता भी दिखाई दे रहा है।

उत्तर महाराष्ट्र में विधानसभा की 47 सीटें हैं

मुंबई से उत्तर भारत की ओर जानेवाला रास्ता उत्तर महाराष्ट्र यानी नासिक, जलगांव, भुसावल आदि जिलों से होकर गुजरता है। इस क्षेत्र में विधानसभा की 47 सीटें हैं। अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित कई सीटें इसी हिस्से में हैं। कभी पूरा उत्तर महाराष्ट्र कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता था। सक्रिय राजनीति में कदम रखने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पहली बड़ी सभा इसी क्षेत्र के नंदुरबार में हुई थी, जहां नौ बार कांग्रेस के माणिकराव गावित लगातार सांसद रहे। लेकिन अब कांग्रेस के इस गढ़ के साथ-साथ लगभग पूरा उत्तर महाराष्ट्र भाजपा के कब्जे में है। भाजपा ने यहां अपने पुराने दिग्गज एकनाथ खडसे को पीछे खींच गिरीश महाजन जैसे नए नेता को आगे बढ़ाने का काम किया और उन्होंने उत्तर महाराष्ट्र में भाजपा को विस्तार देने की पूरी छूट भी दी। नतीजा यह रहा कि इस क्षेत्र के कई प्रमुख कांग्रेसी नेता अब भाजपा में आ चुके हैं। इस क्षेत्र की प्रमुख समस्या प्याज के उठते-गिरते भाव हैं, जो न सिर्फ राज्य सरकार, बल्कि केंद्र को भी यदा-कदा परेशान करती रहती है।

62 सीटों वाला विदर्भ

उत्तर महाराष्ट्र की भांति ही 62 सीटों वाला विदर्भ भी कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। विदर्भ के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह जिसके साथ जाता है, एकमुश्त जाता है। यही कारण है कि 2014 में भाजपा को मिली कुल सीटों 122 में एक तिहाई से ज्यादा, यानी 44 सीटें उसे विदर्भ ने दी थीं। केंद्रीय नेता नितिन गडकरी एवं मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस विदर्भ के ही नागपुर शहर से चुनकर आते हैं। किसान आत्महत्याओं के अलावा पृथक विदर्भ राज्य यहां का बड़ा मुद्दा रहा है। लेकिन पिछले पांच वर्षों के भाजपा शासनकाल में क्षेत्र के लिए कामों की बदौलत भाजपा यहां अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद कर रही है।

46 सीटों वाला मराठवाड़ा

46 सीटों वाला मराठवाड़ा कभी शंकरराव चह्वाण, उनके पुत्र अशोक चह्वाण, विलासराव देशमुख, शिवाजीराव पाटिल निलंगेकर, शिवराज पाटिल और गोपीनाथ मुंडे जैसे दिग्गजों का इलाका माना जाता था। पिछले कई वर्षों से सूखा झेल रहे इस क्षेत्र में अब दिग्गज नेताओं का भी अकाल सा दिखाई देने लगा है। इस बार यहां इन्हीं नेताओं की नई पीढ़ियां अपने पूर्वजों की विरासत के लिए जद्दोजेहद करती दिखाई दे रही हैं। जलसंकट यहां की सबसे बड़ी समस्या है। कुछ वर्ष पहले तो पीने का पानी भी यहां ट्रेन से भिजवाना पड़ा था। भाजपा ने इस संकट के स्थायी समाधान हेतु कोकण क्षेत्र से बारिश का पानी मराठवाड़ा में लाने का वायदा किया है।

58 सीटों वाला पश्चिम महाराष्ट्र

58 सीटों वाले इस शुगर बेल्ट पर कभी कांग्रेस-राकांपा को नाज हुआ करता था। इसे शरद पवार का अभेद्य किला समझा जाता था। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ही शुरू हुए पलायन के दौर ने कांग्रेस-राकांपा को लगभग खाली कर दिया है। कई शक्कर सम्राट राकांपा-कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा-शिवसेना के साथ आ खड़े हुए हैं। पांच साल नेता विरोधी दल की भूमिका में रहे अहमदनगर के राधाकृष्ण विखे पाटिल, सोलापुर का विजयसिंह मोहिते पाटिल परिवार, सातारा के उदयनराजे भोसले सहित कई और दिग्गजों के साथ उनके मतों की ताकत भी स्थानांतरित हुई है। इस बार भाजपा को सर्वाधिक फायदा इसी क्षेत्र से होने की उम्मीद दिख रही है। पश्चिम महाराष्ट्र के अपने इसी किले को बचाने के लिए 80 वर्षीय शरद पवार आज बरसात में भीगते हुए सभाएं करते दिखाई दे रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.