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मिशन 2019: NDA में कुशवाहा की लड़ाई से पासवान की भी बढ़ीं मुश्किलें, जानिए कैसे

रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की राजग में आर-पार की लड़ाई चल रही है। सीधे तौर पर इससे रामविलास पासवान को फायदा दिखता है। लेकिन ऐसा है नहीं। क्‍या है मामला, जानिए इस खबर में।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 24 Nov 2018 07:10 PM (IST)Updated: Sun, 25 Nov 2018 04:40 PM (IST)
मिशन 2019: NDA में कुशवाहा की लड़ाई से पासवान की भी बढ़ीं मुश्किलें, जानिए कैसे
मिशन 2019: NDA में कुशवाहा की लड़ाई से पासवान की भी बढ़ीं मुश्किलें, जानिए कैसे

पटना [अरुण अशेष]। राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा लड़ाई तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) से लड़ रहे हैं, लेकिन मुश्किलें लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) सुप्रीमो रामविलास पासवान की बढ़ रही हैं। इससे निजात पाने के लिए पासवान खुद कुशवाहा को राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में बनाए रखने की पैरवी कर रहे हैं। दूसरी तरफ उनके पुत्र चिराग पासवान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ एकजुटता का इजहार करते हुए कुशवाहा को नसीहत दे रहे हैं।

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पासवान ने अमित शाह को समझाया
खबर है कि पासवान ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से टेलीफोन पर बातचीत की है। उन्‍होंने अमित शाह से कहा है कि उपेंद्र कुशवाहा को राजग में बनाए रखने का उपाय करना चाहिए। उनका दूसरे गठबंधन में जाना राजग की चुनावी संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है। पासवान ने शाह को समझाया है कि उपेंद्र कुशवाहा की कुशवाहा बिरादरी पर मजबूत पकड़ है। पासवान से शाह सहमत हुए, लेकिन उनका कहना था उपेंद्र ने बिना मतलब विवाद पैदा किया। राजग में मतभेद का भ्रम पैदा किया।

ये है पासवान की उलझन
अब समझिए कि पासवान की उलझन क्या है? वे हाजीपुर से चुनाव लड़ते हैं। इसबार खुद नहीं लड़ेंगे। कोई लड़े, यह पासवान के लिए प्रतिष्ठा की सीट बनी रहेगी। हाजीपुर में कुशवाहा वोटरों की तादाद निर्णायक है। उनपर उपेन्द्र की पकड़ से इनकार नहीं किया जा सकता है। गणित यही है कि उपेंद्र महागठबंधन में गए तो कुशवाहा वोटर भी खिसक जाएंगे। यह हाजीपुर में लोजपा को मुश्किल में डालने वाली बात है।

हाजीपुर ही नहीं, उपेंद्र कुशवाहा फैक्‍टर समस्तीपुर में रामविलास पासवान के अनुज रामचंद्र पासवान को भी परेशान कर देगा। उस क्षेत्र में भी कुशवाहा वोटरों की अच्छी संख्या है। 2014 के चुनाव में मोदी लहर के बावजूद रामचंद्र पासवान किसी तरह जीत पाए थे। वोट का मार्जिन छह हजार से कम था। कुशवाहा वोटरों की नाराजगी की हालत में समस्तीपुर से रामचंद्र की जीत भी आसान नहीं होगी।

जोखिम नहीं लेना चाहते लोजपा सुप्रीमो
एक तर्क यह भी है कि कुशवाहा अगर गए भी तो उससे होनेवाली क्षति की भरपाई जदयू के वोटों से हो जाएगी। दोनों सीटों पर लोजपा को जदयू का समर्थन इसबार बोनस में मिल जाएगा। तर्क में दम है। फिर भी रामविलास पासवान कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं।

लोजपा को हो सकता यह फायदा
एक आकलन और भी है। यह कुशवाहा के राजग से अलग होने की हालत में लोजपा को होनेवाले फायदा का है। उम्मीद है कि रालोसपा के कोटे की सीटें लोजपा को मिल जाएंगी।


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