कृषि क्षेत्र को संकट से उबारने को नाईक समिति ने सुझाये उपाय
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट में कुल 21 सिफारिशें की गई हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जलवायु परिवर्तन की चुनौती, घटते प्राकृतिक संसाधनों, घटती जोत और उपज की उचित कीमत दिलाने की चुनौतियों से जूझ रही खेती को उबारने के लिए राज्यपालों की उच्च स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी।
समिति की सिफारिशों में खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, जल सुरक्षा और पर्यावरण सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर विशेष जोर दिया गया है। रिपोर्ट में घरेलू कृषि की हालत और अंतरराष्ट्रीय बाजार की जरूरतों के हिसाब से सिफारिश की गई है। कृषि क्षेत्र की विभिन्न चुनौतियों की समीक्षा करने और उसे सुलझाने के उपायों पर विस्तृत रिपोर्ट दी गई है।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट में कुल 21 सिफारिशें की गई हैं। वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए राष्ट्रपति ने राज्यपालों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था, जिसमें हरियाणा, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश के राज्यपाल शामिल थे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद राज्यपाल नाइक ने बताया कि पर्यावरण के बदलते परिवेश में कृषि क्षेत्र की चुनौतियां गंभीर होने लगी हैं। जलवायु परिवर्तन से जहां फसलों की उत्पादकता में गिरावट की आसन्न चुनौती है, वहीं घटती जोत से मुश्किलें बढ़ गई हैं।
उन्होंने बताया कि किसानों की आमदनी को बढ़ाने के मकसद से कृषि की लागत में कमी लाने के कई उपाय सुझाये गये हैं। इनमें उन्नत बीज, सिंचाई के आधुनिक तरीके, फसलों को जोखिम से बचाने के लिए सस्ती फसल बीमा योजना जैसे प्रावधानों का विशेष उल्लेख किया गया है।
समिति ने छोटी व मझोली जोत के किसानों के हित संरक्षण के लिए उन्हें पर्याप्त वित्तीय मदद की सिफारिश की है। इसके तहत केंद्र व राज्य की हिस्सेदारी को 60-40 के अनुपात की जगह 90-10 फीसद करने का सुझाव दिया गया है। इसका सबसे अधिक फायदा उत्तर प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और उड़ीसा जैसे राज्यों को होगा। ग्रामीण विकास मंत्रालय की महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना को खेती से जोड़ने की सिफारिश भी की गई है।
नाईक समिति की रिपोर्ट में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि कर फसल विशेष को प्रोत्साहन दिया जाने की जरूरत बताई गई है। खासतौर पर फसल चक्र जैसी परंपराओं को अपना कर उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है।
रिपोर्ट में एमएसपी के दायरे में कुछ और फसलों को लाये जाने का सुझाव दिया गया है। कृषि क्षेत्र को संकट से उबारने में कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी फंड (सीएसआर) का उपयोग किया जाना चाहिए। कृषि क्षेत्र में गैर परंपरागत ऊर्जा के प्रयोग करने की सिफारिश की है।