हंगामा करने वाले सदस्यों पर कार्रवाई करने के लिए नियम बदलेगी राज्यसभा
राज्यसभा के पूर्व महासचिव वी.के. अग्निहोत्री की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। संसद की कार्यवाही में बार-बार व्यवधान डालने और जानबूझकर सभापति के आसन के समीप आकर हंगामा करने वाले सदस्यों पर कार्रवाई के लिए राज्यसभा नियमों में बदलाव करने की तैयारी कर रही है। इसी दिशा में कदम उठाते हुए राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने एक समिति का गठन किया है। समिति मानसून सत्र में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
- सभापति ने मौजूदा नियमों की समीक्षा करने को बनायी समिति
- मानसून सत्र तक समिति सौंप देगी अपनी रिपोर्ट
राज्यसभा के पूर्व महासचिव वी.के. अग्निहोत्री की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। समिति के दूसरे सदस्य कानून मंत्रालय के रिटायर संयुक्त सचिव एसआर धलेटा हैं। नायडू ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब हाल में संपन्न राज्य सभा के 245वें सत्र में कामकाज के लिए निर्धारित 165 घंटे में से 120 घंटे हंगामे और व्यवधान की भेंट चढ़ गए।
राज्य सभा के महासचिव देश दीपक वर्मा ने कहा कि हाल के दिनों में जिस तरह हंगामा और व्यवधान के चलते सदन की कार्यवाही बाधित हुई है और सदन का समय बरबाद हुआ है। उसे देखते हुए नियमों में बदलाव की जरूरत महसूस की गयी है।
लोक सभा के नियम 374 ए की तरह राज्यसभा में सभापति के आसान के समीप आने और जानबूझकर सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के इरादे से लगातार नारेबाजी करने वाले सदस्य के स्वत: निलंबन का प्रावधान नहीं है। ऐसे में सभापति के पास हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही स्थगित करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है। यही वजह है कि नियमों में बदलाव का विचार आया है।
वर्मा ने कहा कि कुछ विषय ऐसे हैं जिनसे संबंधित नियम फिलहाल राज्य सभा की कार्यवाही के नियमों में उपलब्ध नहीं है। मसलन, प्वाइंट ऑफ आर्डर क्या है? यह परिभाषित नहीं किया गया है। इसी तरह नियमों को निलंबित करने, जनहित के मुद्दे पर चर्चा करने और विशेषाधिकार हनन का नोटिस देने के संबंध में भी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
वर्मा ने कहा कि समिति सभी राजनीतिक दलों के सदस्यों के साथ विचार विमर्श करेगी। साथ ही लोक सभा के नियमों और अन्य देशों के नियमों का अध्ययन कर अगले तीन माह में सिफारिशें सौंपेगी। राज्य सभा की नियम समिति इन सिफारिशों पर विचार कर अपनी रिपोर्ट देगी। इसके बाद राज्य सभा की नियम समिति की रिपोर्ट सदन में पेश की जाएगी। सदन की मंजूरी मिलने के बाद नियमों में बदलाव हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि संविधान के अनुच्छेद 118 (1) के तहत संसद का प्रत्येक सदन अपनी कार्यवाही के नियम बना सकता है। राज्य सभा की कार्यवाही से संबंधित नियम पहली बार 16 1952 से लागू हुए थे। ये नियम एक दशक से अधिक समय तक चले और 1964 में नए नियम लागू किए गए। इसके बाद राज्य सभा की नियम समिति ने 13 बार रिपोर्ट सौंपकर सदन की कार्यवाही के संबंध में नियमों में संशोधन और परिमार्जन किया है। समिति ने अंतिम रिपोर्ट नवंबर 2014 में दी थी। उस समय सदन ने प्रश्नकाल का समय 11 से 12 बजे के बजाय 12 से एक बजे कर दिया था। साथ ही मौखिक उत्तर के लिए प्रश्नों की संख्या 20 से घटाकर 15 कर दी गयी थी।