जरूरत पड़ने पर मॉब लिंचिंग के खिलाफ बन सकता है नया कानून: राजनाथ सिंह
गृहमंत्रालय ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी कर मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट को दिशानिर्देशों को लागू करने को कहा है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मॉब लिंचिंग रोकने के लिए जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार नया कानून बनाने को भी तैयार है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में विपक्षी नेताओं को यह आश्वासन दिया। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम समेत कई विपक्षी दल के नेताओं ने मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार की ओर से इसे रोकने के लिए ठोस पहल करने का मुद्दा उठाया था। वहीं केंद्रीय गृहमंत्रालय ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी कर मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट को दिशानिर्देशों को लागू करने को कहा है।
लोकसभा में शून्यकाल शुरू होते हुए कई विपक्षी नेता मॉब लिंचिंग का मुद्दा उठाते हुए वेल में आ गए। बाद में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कुछ विपक्षी नेताओं को इस मुद्दे पर बोलने की अनुमति दी। सदन में कांग्रेस दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश से जांच कराने और उसके आधार पर कार्रवाई सुनिश्चित करने का सुझाव दिया। खड़गे का कहना था कि सरकार की ओर से गठित उच्च समिति की रिपोर्ट आने और उसके अनुरूप कार्रवाई करने में देरी होगी। सरकार की ओर से जवाब देते हुए राजनाथ सिंह ने सदन को आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए हर संभव उपाय कर रही है और जरूरत पड़ने पर इसके लिए विशेष कानून भी बनाया जा सकता है।
वहीं मॉब लिंचिंग रोकने के लिए दो उच्च स्तरीय समिति के गठन के एक दिन बाद ही गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी कर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों को लागू करने को कहा है। एडवाइजरी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के 14 दिशानिर्देशों को बिंदुवार अलग से लगाया गया है।
गौरतलब है कि 17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में राज्यों को मॉब लिंचिंग रोकने के लिए हर जिले में एक एसपी रैंक के अधिकारी को नॉडल आफिसर नियुक्त करने को कहा था। नॉडल आफिसर को हर महीने अपने जिले के थाना प्रभारियों के साथ बैठक कर मॉब लिंचिंग की आशंका वाले इलाकों की पहचान और वहां इसे रोकने के लिए किये जा रहे उपायों की समीक्षा करने को कहा था। वहीं राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को हर तीन महीने में नॉडल अधिकारियों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया था। यही नहीं, मॉब लिंचिंग पर खुफिया जानकारी जुटाने के लिए टास्क फोर्स गठित करने को भी कहा गया था। गृहमंत्रालय ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों को पूरी तरह से लागू करने को कहा है।