1984 का दंगा था सबसे बड़ा मॉब लिंचिंग: राजनाथ
राजनाथ ने कहा, अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले दलों के बीच आपस में खुद ही नहीं है विश्वास।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राज्यों में हो रही मॉब लिंचिंग घटनाओं के जरिए केंद्र सरकार को घेरने में जुटे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को राजनाथ सिंह ने सिख दंगे की याद दिलाकर असहज कर दिया। हिन्दू तालिबान और हिन्दू पाकिस्तान जैसी टिप्पणी करने वालों पर भी वह जमकर बरसे। उन्होंने सवाल भी किया, क्या उन्हें देश में तब तालिबान नहीं दिखाई देता है, जब केरल में एक शिक्षक की उसके छात्रों के सामने हाथ काट लिया जाता है।
कश्मीर में सैनिकों पर हमला करने वालों के समर्थन में जश्न मनाया जाता है। संसद में हमला करने वाले के प्रति सहानुभूति दिखाई जाती है। मॉब लिंचिंग को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बड़ा मुद्दा बनाया था। आरोप लगाया था कि इस सरकार मे गरीबों और पिछड़ों को संरक्षण नहीं है। बल्कि सरकार के मंत्री ऐसी घटनाओं के आरोपियों तो माला पहनाकर स्वागत करते हैं और प्रधानमंत्री चुप रहते हैं। जवाब केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की ओर से आया। उन्होंने सीधे-सीधे राजीव गांधी के काल की याद दिला दी और कहा कि 1984 में सिखों को जिस तरह मारा गया वह मॉब लिंचिंग की सबस बड़ी घटना थी। बताने की जरूरत नहीं कि भाजपा गाहे बगाहे यह याद दिलाने से नहीं चूकती है कि वह घटना राजीव गांधी के ही एक बयान के बाद हुई थी।
राजनाथ ने राजीव गांधी के उस बयान की भी याद दिलाई जिसमें उन्होंने संसद के अंदर भाजपा के दो सदस्यों की मौजूदगी पर तंज किया था। राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी के प्रधानमंत्री से गले मिल को लेकर कटाक्ष किया और कहा कि उनका व्यवहार दिखाता है कि उन्होंने संसद को चिपको आंदोलन में बदल दिया। अविश्वास प्रस्ताव को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल के दौरान उनकी ओर से कभी ऐसा प्रस्ताव नहीं लाया, क्योंकि हमें पता था कि सरकार के पास बहुमत है। जबकि कांग्रेस सारी जानकारी होने के बाद भी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लायी है। इससे साफ है वह सरकार की लोकप्रियता से डरी हुई है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों के सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है, उनमें खुद ही आपस में विश्वास नहीं है। महागठबंधन पर भी तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले दलों के बीच आपस में खुद ही विश्वास नहीं है।