Rajasthan local body result 2019: कई सीटों पर कांग्रेस की बढ़त, दांव पर लगी भाजपा की प्रतिष्ठा
राजस्थान उपचुनाव में कांग्रेस ने फिलहाल बढ़त बनाई हुई है। माउंट आबू की 25 सीटों में से 18 कांग्रेस ने अपने नाम कर ली हैं।
नई दिल्ली, एजेंसी। राजस्थान में निकाय चुनाव के नतीजे कुछ समय बाद घोषित कर दिए जाएंगे। हाल के सामने आए रूझानों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है। कई सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार ने जीत दर्ज कर ली है। माउंट आबू की 25 सीटों में से 18 सीटे कांग्रेस अपने नाम कर चुकी है। वहीं भाजपा सत्तारूढ़ पार्टी से पिछड़ती हुई नजर आ रही है।
2105 वार्डों के लिए चुने जाएंगे प्रतिनिधि
जानकारी के लिए बता दें कि राजस्थान की तीन नगर निगमों, 18 नगर परिषदों और 28 नगरपालिकाओं के लिए 16 नवंबर को वोटिंग हुई थी। इस दौरान 71.53 फीसद मतदाताओं ने अपने वोटिंग की थी। लोगों ने इन निकायो के लिए 2105 वार्डों के लिए अपने जनप्रतिनिधि चुने है।
भाजपा का पलड़ा रहा है भारी
राजस्थान की जिन 49 नगर निगम में चुनाव हुआ है। यहां पिछली बार भाजपा का पलड़ा भारी रहा है। इस बार छह निकाया ऐसी हैं जहां पहली बार चुनाव हआ है। जिन 43 निकायों में पिछली बार चुनाव हुआ था उसमें से 35 सीटें भाजपा ने जीती थी। सात सीटों पर कांग्रेस के अध्यक्ष थे।
सक्रिय हुई वसुंधरा राजे
पार्टी की गतिविधियों से काफी समय से दूर वसुंधरा राजे भी अब सक्रिय हो गई हैं। उन्होने रविवार को पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और अन्य प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत की थी।
भाजपा और कांग्रेस में डर
कांग्रेस और भाजपा ने प्रमुख निकायों में अपने-अपने वॉर्ड पार्षद प्रत्याशियों को इकट्ठा करके अलग-अलग रिजॉर्ट या होटल में भेज दिया गया था। अब इनमें से जो भी प्रतियाशी जीतेंगे उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाएगा। दरअसल, 26 नवंबर को अध्यक्ष का चुनाव होना है। तब तक इन पार्षदों को होटल या रिजॉर्ट में ही रहना होगा।
यहां जानें राजस्थान नगर निगम से जुड़ी अन्य बातें
बता दें कि राजस्थान के माउंट आबू में सबसे पहले नगर निगम की स्थापना वर्ष 1864 में की गई थी। इसके बाद 1866 में अजमेर और फिर 1867 में ब्यालर में नामित मंडलों की स्थापना की गई थी। 1869 में जयपुर में इसकी स्थापनी की गई थी। निकायों को लेकर 1970 से पहले कोई स्पष्ट संविधान नहीं था। तब तक इन पर सरकार का ही नियंत्रण ज्यादा था। 74वें संविधान संशोधन के बाद एक व्यवस्था तय की गई। इसके बाद ही निकायों को लेकर तस्वीर साफ हुई