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राहुल नहीं माने तो मुख्यमंत्रियों ने उत्तराधिकारी तय करने का जिम्मा उन्हीं पर छोड़ा

राहुल से अपने फैसले पर पुनर्विचार के अनुरोध के साथ कांग्रेस शासित पांचों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने पार्टी के नये अध्यक्ष के चयन की सियासी गेंद भी राहुल के पाले में ही डाल दी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 30 Jun 2019 09:03 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2019 09:41 PM (IST)
राहुल नहीं माने तो मुख्यमंत्रियों ने उत्तराधिकारी तय करने का जिम्मा उन्हीं पर छोड़ा
राहुल नहीं माने तो मुख्यमंत्रियों ने उत्तराधिकारी तय करने का जिम्मा उन्हीं पर छोड़ा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे के अपने फैसले से टस से मस नहीं होते देख पार्टी शासित मुख्यमंत्रियों ने हाईकमान से कहा है कि नेतृत्व के लिए राहुल ही उनकी पहली पसंद हैं। मगर वे पद पर रहने को राजी नहीं तो फिर अपना उत्तराधिकारी भी राहुल को ही तय करना होगा।

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राहुल से अपने फैसले पर पुनर्विचार के अनुरोध के साथ कांग्रेस शासित पांचों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने पार्टी के नये अध्यक्ष के चयन की सियासी गेंद भी इस तरह राहुल के पाले में ही डाल दी है।

कांग्रेस अध्यक्ष के आवास 12 तुगलक लेन पर मुख्यमंत्रियों की करीब दो घंटे हुई बैठक के दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राहुल से अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए अपने-अपने इस्तीफे की पेशकश फिर दोहरायी। इस पर राहुल ने कहा कि अध्यक्ष पद छोड़ने को लेकर उनका फैसला अडिग है और वे इसे कई बार साफ कर चुके हैं।

सूत्रों के अनुसार राहुल के रुख में बदलाव की गुंजाइश नहीं देखते हुए मुख्यमंत्रियों ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए केवल पार्टी संगठन का पुनर्गठन ही नहीं नेतृत्व के विकल्प पर फैसला भी उन्हें ही लेना होगा। नेतृत्व के उत्तराधिकारी को लेकर पार्टी मुख्यमंत्रियों की ओर से जिम्मा राहुल को ही सौंपने के संकेतों को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ ही दिनों में कांग्रेस के नये अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया शुरू होगी।

सूबे के नेताओं के बाद मुख्यमंत्रियों ने जिस तरह राहुल गांधी को एक बार फिर पद पर बने रहने से लेकर उत्तराधिकारी तय करने का ब्लैंक चेक दिया है उसका संकेत तो यही है कि गांधी परिवार के भरोसेमंद को नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है। पूर्व गृहमंत्री वरिष्ठ पार्टी नेता सुशील कुमार शिंदे की अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी को इसी आधार पर खारिज नहीं किया जा रहा है।

राहुल गांधी के साथ बैठक के बाद बाहर आए पांचों मुख्यमंत्रियों के साथ अशोक गहलोत ने पत्रकारों से कहा कि पार्टी में सभी का मानना है कि राहुल को अध्यक्ष बने रहना चाहिए। पार्टी की भावना से हमने उन्हें अवगत करा इस पर पुनर्विचार के लिए उनसे कहा और हम सकारात्मक फैसले की उम्मीद करते हैं। गहलोत ने कहा कि चुनाव में हार और जीत होती रहती है मगर असली बात यह थी कि राहुल गांधी ने लोगों के मुद्दों को चुनाव का एजेंड़ा बनाया।

पूरा चुनाव राहुल की अगुआई में कांग्रेस ने मुद्दों पर लड़ा और पार्टी ही नहीं पूरा देश यह मानता है कि पीएम मोदी की चुनौती से उन्होंने लोहा लिया। मगर भाजपा और पीएम मोदी ने भावनाओं और देशभक्ति से लेकर धर्म के नाम पर लोगों को चुनाव में गुमराह किया। सेना की आड़ में छिपकर राजनीति की और विकास तथा रोजगार की चर्चा नहीं।

राहुल के साथ बैठक में इस्तीफे की पेशकश के सवाल पर गहलोत ने कहा कि चुनाव नतीजे के बाद ही सभी ने इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति ने तो राहुल गांधी को पहले ही पार्टी में संपूर्ण बदलाव का अधिकार दे रखा है और वे जैसा चाहें फैसला कर सकते हैं। गहलोत और कमलनाथ के अलावा राहुल के साथ बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पुड्डूचेरी के सीएम नारायणसामी मौजूद थे।


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