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टीकाकरण पर बोले राहुल गांधी- बिना इंटरनेट वालों को भी जीने का अधिकार, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन बिना भी सबको लगे वैक्सीन

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को मांग की कि COVID-19 टीकाकरण केंद्र में जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को यह अधिकार मिलना चाहिए क्योंकि जिनके पास इंटरनेट नहीं है उन्हें भी जीने का अधिकार है। इसको लेकर राहुल ने सरकार से सवाल किया।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 12:58 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 02:06 PM (IST)
टीकाकरण पर बोले राहुल गांधी- बिना इंटरनेट वालों को भी जीने का अधिकार, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन बिना भी सबको लगे वैक्सीन
राहुल गांधी ने उठाया कोरोना टीकाकरण पर सवाल।(फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, प्रेट्र। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आज कोरोना वैक्सीन के मुद्दे पर सरकार और सिस्टम पर सवाल उठाया है। राहुल गांधी ने कहा है कि वैक्सीन लगवाने के लिए पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराए जाने की अनिवार्यता के सिस्टम पर सवाल उठाया है। राहुल गांधी का कहना है कि कोरोना टीकाकरण सेंटर पर जाने वाले हर शख्स को कोरोना वैक्सीन लगनी चाहिए। इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ही काफी नहीं है। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा- कोरोना वैक्सीन के लिए सिर्फ ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन काफी नहीं। वैक्सीन सेंटर पर वॉक-इन करने वाले हर व्यक्ति को टीका मिलना चाहिए। जीवन का अधिकार उनका भी है जिनके पास इंटरनेट नहीं है।"

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वैक्सीन के लिए सिर्फ़ online रेजिस्ट्रेशन काफ़ी नहीं।

वैक्सीन सेंटर पर walk-in करने वाले हर व्यक्ति को टीका मिलना चाहिए।

जीवन का अधिकार उनका भी है जिनके पास इंटर्नेट नहीं है।

वैक्सीनेशन पर लगातार हमलावर है कांग्रेस

राहुल गांधी ने हाल ही में टीकाकरण के लिए राज्यों को मुफ्त टीका मुहैया कराने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद सवाल किया कि अगर टीके सभी के लिए मुफ्त हैं तो फिर निजी अस्पतालों को पैसा क्यों लेना चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया, 'एक साधारण सवाल: अगर टीके सभी के लिए मुफ्त हैं तो फिर निजी अस्पतालों को पैसे क्यों लेने चाहिए।

कोर्ट ने भी की थी टिप्पणी

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी टीकाकरण से पहले कोविन ऐप पर अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन करवाने की जरूरत पर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने कहा था कि नीति निर्माताओं को जमीनी हकीकत से वाकिफ होना चाहिए और 'डिजिटल इंडिया' की वास्तविक स्थिति को ध्यान में रखना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि आपको देखना चाहिए कि देशभर में क्या हो रहा है। जमीनी हालात आपको पता होने चाहिए और उसी के मुताबिक नीति में बदलाव किए जाने चाहिए। यदि हमें यह करना ही था तो 15-20 दिन पहले करना चाहिए था।


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