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शीतकालीन सत्र में राफेल को सियासी उड़ान देने की तैयारी, खड़गे बोले- विपक्ष को एकजुट करेगी कांग्रेस

कांग्रेस अब राफेल के मुद्दे को सियासी उड़ान देने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में है।

By Vikas JangraEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 12:57 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 12:57 PM (IST)
शीतकालीन सत्र में राफेल को सियासी उड़ान देने की तैयारी, खड़गे बोले- विपक्ष को एकजुट करेगी कांग्रेस
शीतकालीन सत्र में राफेल को सियासी उड़ान देने की तैयारी, खड़गे बोले- विपक्ष को एकजुट करेगी कांग्रेस

नई दिल्ली [जेएनएन]। राफेल विमान सौदे को कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ अब सियासी हथियार बनाने की रणनीति तय कर ली है। कांग्रेस अब राफेल के मुद्दे को सियासी उड़ान देने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में है। इस बात की जानकारी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार दी। 

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उन्होंने कहा, 'हम काफी वक्त से कह रहे हैं कि राफेल विमान सौदे में घोटाला हुआ है। हम (कांग्रेस) इस मुद्दे को संसद के शीतकालीन सत्र में भी उठाएंगे और विपक्षी पार्टियों को इस मुद्दे पर एकजुट करने की कोशिश करेंगे।'

बता दें कि करीब एक माह चलने वाला संसद का शीतकालीन सत्र 11 दिसंबर (दिन मंगलवार) से शुरू होगा और इसी दिन पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों की घोषषणा भी होगी। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीपीए) ने मंगलवार की रात को ही यह फैसला लिया। कमेटी की सिफारिश के मुताबिक शीत सत्र आठ जनवरी, 2019 तक चलेगा।

लोकसभा चुनाव से पहले संभवत: यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली इस सरकार का आखिरी पूर्णकालिक सत्र होगा। लिहाजा, इस सत्र में सत्तारू़ढ़ भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस का बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है। खासकर जब सत्र के पहले दिन ही विधानसभा चुनावों की मतगणना का असर संसद की कार्यवाही पर पड़ेगा। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसग़़ढ, तेलंगाना और मिजोरम के विधानसभा चुनाव के नतीजे 11 दिसंबर को ही आएंगे। इस वक्त मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसग़़ढ में भाजपा का शासन है जबकि तेलंगाना में तेदेपा और मिजोरम में कांग्रेस गठबंधन की सरकार है।

उल्लेखनीय है कि संसद का शीतकालीन सत्र आमतौर पर पहले नवंबर में शुरू होता था। लेकिन यह लगातार दूसरा साल है जब यह दिसंबर में आहूत हो रहा है। हालांकि इस साल सत्र में देरी का कारण पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हैं।

पार्टियों से सहयोग की अपील

संसदीय मामलों के राज्यमंत्री विजय गोयल ने अगले संसद सत्र के 11 दिसंबर से आठ जनवरी तक चलने की पुष्टि करते हुए बताया कि शीत सत्र में कामकाज के पूरे बीस दिन मिलेंगे। इस सत्र के दौरान संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने के लिए वह सभी राजनीतिक दलों के सहयोग और समर्थन की अपेक्षा करते हैं। हालांकि सत्र के पहले ही दिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक संवेदना जताकर संसद के दोनों सदनों को स्थगित कर दिया जाएगा। 


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