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त्वरित टिप्पणी: आस्था को आहत करने से भी नहीं चूके शशि थरूर

पवित्र शिवलिंग पर प्रहार करने की टिप्पणियों को लोग अभी भूले भी नहीं थे कि एक ट्वीट करके थरूर ने पुराने घावों को फिर हरा कर दिया।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 08:41 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 08:41 PM (IST)
त्वरित टिप्पणी: आस्था को आहत करने से भी नहीं चूके शशि थरूर

प्रशांत मिश्र। हमेशा की तरह इस बार फिर शशि थरूर अपने अंग्रेजी अभिजात्य अहंकार में डूबे दिखाई दे रहे हैं। अपनी अभद्र एवं अमर्यादित टिप्पणियों के क्रम में उन्होंने भाजपा के बहाने लगभग 15 करोड़ आस्तिकों के कुंभ को भी लपेट लिया है। पवित्र शिवलिंग पर प्रहार करने की टिप्पणियों को लोग अभी भूले भी नहीं थे कि एक ट्वीट कर थरूर ने पुराने घावों को फिर हरा कर दिया। यह समझ के परे है कि कुंभ में कैबिनेट मंत्रियों के स्नान से थरूर को क्या परेशानी है।

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थरूर को यह याद भी नहीं होगा कि केरल की भयंकर बाढ़ को छोड़कर विदेशी सहायता दिलाने के बहाने वह यूरोप की सैर कर रहे थे। वह अपनी शुतुरमुर्ग जैसी सोच के चलते यह भी भूल गए कि विदेशी सहायता के लिए केरल व भारत सरकार ही अधिकृत है। सवा सौ वर्ष से भी अधिक पुरानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और उससे भी पहले एक भारतीय होने के नाते थरूर यह कैसे भूल गए कि इस देश में गंगा करोड़ों भारतीयों की आस्था की प्रतीक है। इतना होने के बावजूद थरूर ने ट्वीट किया 'गंगा भी स्वच्छ रखनी है और पाप भी यहीं धोने हैं। इस संगम में सब नंगे हैं। जय गंगा मैया की।'

थरूर ने अपने इस ट्वीट में उत्तर प्रदेश कैबिनेट के मंत्रियों के स्नान करते हुए फोटो का इस्तेमाल भी किया है। संभवत: अपनी अंग्रेजियत में थरूर देश के लोगों की भावनाओं का स्मरण नहीं रख पाए। पता नहीं थरूर को यह याद भी होगा या नहीं कि अपनी इसी अंग्रेजी अभिजात्य भावनाओं में बहते हुए वह हवाई जहाज में इकोनॉमी क्लास में चलने वालों की तुलना भेड़ बकरियों (कैटल क्लास) से कर चुके हैं। वह यह भी भूल गए कि तिरुअनंतपुरम में उनकी जीत महज एक संयोग थी। इस बार तो केरल में सबरीमाला को लेकर एक ऐसा आंदोलन चल रहा है जिसको वहां की पूरी कांग्रेस इकाई ही समर्थन कर रही है। प्रदेश कांग्रेस भी वहां मंदिर में पचास से कम उम्र की महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में नहीं है और वह अयप्पा की आस्था की पक्षधर है। आस्था को ही मानक मानें तो थरूर का यह ट्वीट अपनी ही प्रदेश इकाई की भावनाओं के खिलाफ है। भले ही केंद्र में कांग्रेस राजनीतिक नफा नुकसान के लिहाज से अलग राय रखती हो।

जहां तक आस्था का सवाल है थरूर को यह याद ही होगा कि अपनी पत्नी की अस्थियों का विसर्जन भी उन्होंने इसी गंगा में किया था। यही नहीं, गंगा स्नान की इस देश की परंपरा का निर्वाह उनकी अपनी ही पार्टी के नेता अतीत में करते आए हैं। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की भी गंगा में स्नान करती तस्वीरें उपलब्ध हैं। यूपीए की चेयरपर्सन और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तो कुंभ में जाकर गंगा में स्नान कर चुकी हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की अस्थियों का विसर्जन भी गांधी परिवार ने गंगा में ही किया था। इन्हीं राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री रहते गंगा की स्वच्छता बहाल करने के लिए एक महत्वाकांक्षी गंगा एक्शन प्लान बनाया था। और तो और, गंगा को लेकर ट्वीट करते हुए थरूर यह कैसे भूल गए कि अगले ही महीने उनकी पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष राहुल गांधी और हाल ही में राजनीति में उतरी उनकी बहन प्रियंका गांधी भी कुंभ में स्नान की योजना बना रहे हैं।

थरूर की मानें तो क्या गंगा में डुबकी लगाने की इन लोगों की मंशा के पीछे भी पाप धोना ही था? फाइव स्टार कल्चर में रहते हुए केरल की राजनीति करने वाले थरूर शायद प्रदेश में सत्तासीन वामपंथी दल की सरकार से अधिक प्रभावित हैं, जिनके नेताओं के लिए लोगों की धार्मिक आस्थाएं कोई मायने नहीं रखती। कहीं ऐसा तो नहीं कि उनका यह ट्वीट भी प्रदेश के मुख्यमंत्री से प्रेरित है? चूंकि उन्हें उसी प्रदेश में राजनीति करनी है और चुनाव लड़ना है, इसलिए संभवत: वह ऐसा कर खुद के लिए वामपंथी दल से अनकहे समर्थन की उम्मीद कर रहे हों।


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