असम में विवादास्पद नागरिकता संशोधन बिल का विरोध जारी, महिलाओं ने रैली निकाली
गुवाहाटी में कई संगठनों से जुड़े लोगों ने बैठक का आयोजन कर बिल को तुरंत प्रभाव से वापस लेने की मांग की।
गुवाहाटी, प्रेट्र। नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ असम में चल रहा विरोध प्रदर्शन शनिवार को भी जारी रहा। तेजपुर में जहां लोगों ने अर्द्ध नग्न प्रदर्शन किया वहीं तिनसुकिया में महिलाओं ने रैली निकाली। गुवाहाटी में कई संगठनों से जुड़े लोगों ने बैठक का आयोजन कर बिल को तुरंत प्रभाव से वापस लेने की मांग की। इस विवादास्पद बिल को लोकसभा ने आठ जनवरी को पारित किया था। बिल में यह प्रावधान किया गया है कि बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के जो भी गैर-मुस्लिम छह साल से अधिक देश में रह रहे हैं, उन्हें नागरिकता दी जाएगी।
निचले असम के सोनीतपुर जिले के तेजपुर में असोम जातियाबाड़ी युबा छात्र परिषद (एजेवाईसीपी) के कार्यकर्ताओं ने अर्द्ध नग्न प्रदर्शन किया। इस दौरान संगठन के पुरुष सदस्यों ने जहां शर्ट नहीं पहन रखी थी वहीं अपने शरीर पर बिल को तुरंत प्रभाव से वापस लेने संबंधी कई नारे लिखवा रखे थे।
उपायुक्त कार्यालय के सामने प्रदर्शन करने के दौरान कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और राज्य के वित्त मंत्री हिमंत बिस्व सरमा के खिलाफ नारे लगाए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह बताएं कि इस बिल से आखिर कैसे राज्य और देश के लोग लाभान्वित होंगे।
उधर, ऊपरी असम के तिनसुकिया जिले में महिलाओं ने रैली निकाली और राष्ट्रीय राजमार्ग-37 को जाम कर दिया। गुवाहाटी में भी बिल के खिलाफ लोगों ने बैठक की। इसमें असम साहित्य सभा, एजेवाईसीपी, कृषक मुक्ति संग्राम समिति और दूसरे नेताओं ने भाग लिया और इस बिल को तुरंत प्रभाव से खत्म करने की मांग की।
असम में दो साल से अवैध रूप से रह रहे 21 बांग्लादेशी भेजे गए बांग्लादेश
भारत ने असम में पिछले दो साल से अवैध रूप से रह रही दो महिलाओं समेत 21 बांग्लादेशी नागरिकों को वापस उनके देश भेज दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय से मंजूरी लेने के बाद भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा स्थित सुतारकंडी-करीमगंज आव्रजन चेकपोस्ट (आइसीपी) पर असम बार्डर पुलिस और बीएसएफ ने इन अवैध बांग्लादेशियों को बार्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) के सुपुर्द किया है।
गुवाहाटी में शनिवार को असम पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि इन अवैध विदेशी बांग्लादेशियों को पासपोर्ट अधिनियम के उल्लंघन के तहत गिरफ्तार किया गया था। यह लोग दो साल पहले त्रिपुरा के रास्ते असम में आ बसे थे। इन बांग्लादेशियों को सिल्चर के केंद्रीय कारागार के साचर डिटेंशन सेंटर में रखा गया था। करीमगंज पुलिस के मुताबिक इनको फिर विशेष बस से सीमा पर ले जाया गया, जहां इन्हें बांग्लादेशी प्रशासन को सौंप दिया गया है।
बांग्लादेश प्रत्यर्पित किए गए अवैध आव्रजकों की पहचान नसीर हुसैन, अब्दुल वाहिद, मुहम्मद खैरुल,जाहिदा बेगम, सूफिया बेगम, मिहिर पेबेल मिया, सफीक इस्लाम, सवील अहमद, रामजन अली, बबलू अहमद, सुमन फकीर, मासूम अहमद, नाजिमुद्दीन, असराफुल आलम चौधरी, लिटुन कांति दास, तौफीक अली, राजू अहमद, दिलवर हुसैन, मु.सुकुर, सामिम अहमद और रुबेल अहमद हैं।
रोहिंग्या को बांग्लादेश भेजने से बीएसएफ का इन्कार :इस बीच, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने बार्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के उस दावे को नकार दिया है जिसमें उसने कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों को जबरदस्ती उनके क्षेत्र में भेजा जा रहा है।
एक बांग्लादेशी अखबार में प्रकाशित खबर में दावा किया गया है कि बीएसएफ ने कस्बा उपजिलास काजियतअली स्थित ब्राह्मनबरिया क्षेत्र के सीमावर्ती इलाके में 31 रोहिंग्या मुसलमानों को बलपूर्वक बांग्लादेश भेजा जा रहा है। यह क्षेत्र त्रिपुरा के सिपाहजिला के कमलसागर क्षेत्र में आता है। बीएसएफ के त्रिपुरा फ्रंटियर ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि बांग्लादेश से भारतीय क्षेत्र में रोहिंग्या मुसलमानों के आने का कोई सुराग नहीं है।