केंद्र में सरकार गठन की तैयारियां शुरू: स्टालिन से मिले केसीआर, द्रमुक ने नहीं दिखाई तीसरे मोर्चे में रुचि
किसी दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने की सूरत में टीआरएस तेदेपा बीजद और द्रमुक जैसे क्षेत्रीय दलों की अहमियत बढ़ जाएगी।
चेन्नई, प्रेट्र/आइएएनएस। सोमवार को तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के नेता और राज्य के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन से मिलने उनके आवास पहुंचे। दोनों नेताओं में एक घंटे से अधिक समय तक बातचीत हुई, लेकिन ऐसा लगता है कि गैर-भाजपा गैर-कांग्रेस गठबंधन सरकार के विचार पर स्टालिन ने कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई है। यही वजह रही कि स्टालिन से मिलने के तुरंत बाद राव मीडिया से बिना बात किए निकल गए। बाद में द्रमुक ने बयान जारी कर दोनों नेताओं की मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया।
सूत्रों के मुताबिक बातचीत के दौरान स्टालिन ने राव से कांग्रेस को समर्थन का अनुरोध किया है। बातचीत के दौरान स्टालिन ने राव को इस बात से अवगत करा दिया कि उनकी पार्टी का कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व समझौता है। साथ ही वे प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नाम का समर्थन कर चुके हैं। स्टालिन ने राव से अनुरोध किया है कि वह केंद्र में कांग्रेस नीत सरकार का समर्थन करें। मुलाकात के दौरान द्रमुक नेता दुरईमुरुगन और पूर्व केंद्रीय मंत्री टीआर बालू भी मौजूद थे।
राष्ट्रीय दलों के समर्थन से केंद्र में क्षेत्रीय दलों की सरकार और वाम पार्टियों के शामिल होने संबंधी राव की दलील पर स्टालिन ने कहा कि ऐसी स्थिति में सिर्फ कांग्रेस के नेतृत्व में बनी सरकार ही स्थिरता दे सकती है। द्रमुक ने यह भी कहा कि विभिन्न राज्यों की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए क्षेत्रीय दलों द्वारा केंद्र में सरकार गठन का विचार दूर तक नहीं चल सकता है।
तीसरा मोर्चा व्यावहारिक नहीं: कांग्रेस
तमिलनाडु राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष केएस अलागिरी ने दोनों नेताओं के बीच बैठक को महत्वहीन करार देते हुए कहा कि देश में न तो तीसरा मोर्चा संभव है और न ही यह विचार व्यावहारिक है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक की सभी क्षेत्रीय पार्टियां इससे अच्छी तरह वाकिफ हैं।
आखिर राहुल के नाम पर हिचकिचा क्यों रहे हैं स्टालिन: भाजपा
तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष तमिलसाई सुंदरराजन ने दोनों नेताओं की बैठक पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि आखिर राव के साथ अपनी मुलाकात में स्टालिन यह बताने में क्यों हिचकिचा रहे हैं कि वह केवल राहुल गांधी का समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि स्टालिन ने इसी तरह की हिचकिचाहट तब दिखाई थी कि जब वह ममता बनर्जी की रैली में भाग लेने कोलकाता गए थे।
..तो राहुल को समर्थन दे सकते हैं राव
राव के साथ बातचीत के दौरान स्टालिन ने जब उनसे कांग्रेस को समर्थन देने के बारे में कहा तो सूत्रों का दावा है कि इस पर केसीआर ने बहुत नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी। बताया जाता है कि राव ने स्टालिन से कहा है कि अगर कांग्रेस सबसे बड़ी या दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनती है तो वह उसको समर्थन देने के बारे में विचार कर सकते हैं।
बता दें कि यूपीए-1 में केसीआर मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में रहे हैं। दरअसल, कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश के विभाजन को यह सोचकर मंजूरी दी थी कि केसीआर अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर देंगे। बाद में केसीआर ने अपनी पार्टी बना ली और राज्य की सत्ता पर काबिज हो गए। तब से दोनों पार्टियों के बीच संबंधों में खटास आ गई। यह खटास तब और बढ़ी जब हालिया विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के 19 विधायकों में से 10 को केसीआर ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया।
विजयन से मुलाकात कर चुके हैं राव
जानकारों का मानना है कि किसी दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने की सूरत में टीआरएस, तेदेपा, बीजद और द्रमुक जैसे क्षेत्रीय दलों की अहमियत बढ़ जाएगी। इसी के चलते केंद्र में गैर-भाजपा गैर-कांग्रेस गठबंधन सरकार की कोशिशें शुरू हो चुकी हैं। इसमें सबसे आगे टीआरएस के के चंद्रशेखर राव हैं। राव ने इसी मुद्दे पर कुछ दिनों पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से जहां मुलाकात की थी वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने उनसे फोन पर बात की थी।
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