राहुल और प्रियंका ने नीट और जेईई परीक्षाएं टालने की मांग की, कहा- छात्रों की सुरक्षा से समझौता नहीं कर सकते
राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा ने नीट और जेईई परीक्षाएं टालने की मांग करते हुए कहा है कि सरकार छात्रों की सुरक्षा से समझौता नहीं कर सकती है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कोरोना महामारी के बीच नीट एवं जेईई की परीक्षाएं कराने के फैसले का एकबार फिर विरोध किया है। राहुल ने शुक्रवार को छात्रों की मांग के समर्थन में एक वीडियो ट्वीट करते हुए कहा कि सरकार को सभी पक्षों से बातचीत करके सहमति बनाते हुए समाधान निकालना चाहिए। उन्होंने सरकार पर कोरोना वायरस संकट से निपटने में अक्षम होने का आरोप लगाया। राहुल ने कहा कि सरकार की अक्षमता के चलते छात्रों की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सरकार से छात्रों की मांग पर विचार करने की मांग की।
NEET-JEE aspirants’ safety should not compromised due to the failures of the Govt.
Govt must listen to all stakeholders and arrive at a consensus.#SpeakUpForStudentSafety pic.twitter.com/Y1CwfMhtHf— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 28, 2020
राहुल ने कांग्रेस के 'स्पीक अप फॉर स्टूडेंट सेफ्टी' अभियान के तहत वीडियो जारी करते हुए कहा कि प्रिय छात्रों आप इस देश के भविष्य हैं। आप भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। देश का हर नागरिक समझता है कि पिछले तीन से चार महीनों में क्या हुआ। हर व्यक्ति कोई समझता है कि कोरोना संकट से सही ढंग से निपटा नहीं गया। आर्थिक तबाही हुई, लोगों को दर्द हुआ है। मैं नहीं समझता कि लोगों को आगे भी तकलीफ दी जाए। आपने क्या गलत किया है। मैं देख सकता हूं कि सरकार अक्षम रही है। सरकार को छात्रों पर अपना फैसला थोपना नहीं चाहिए। सरकार को छात्रों की बात सुनना चाहिए। कोई भी फैसला सभी से बातचीत के बाद ही लिया जाना चाहिए। सरकार को इस बारे में आम सहमति बनानी चाहिए।
राहुल गांधी ने कहा कि सरकार पहले ही पर्याप्त तबाही कर चुकी है। उसने छात्रों को आहत किया है। सरकार देश के छात्रों की सुने और शांतिपूर्वक समाधान निकाले। वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी सरकार से आग्रह किया कि वह छात्रों की आवाज सुने और राजनीति से ऊपर उठकर फैसला करे। कोरोना काल में जेईई-नीट परीक्षा देने जाने वाले छात्र छात्राओं और उनके अभिवावकों की बात सुनना जरूरी है। छात्र देश के भविष्य हैं। छात्रों की चिंताओं को संवेदनशीलता से देखना पड़ेगा। छात्रों की आवाज अनसुनी नहीं की जाए और राजनीति से ऊपर उठकर फैसला किया जाए।