कांग्रेस का अगला अध्यक्ष गांधी-नेहरू परिवार से बाहर का हो, राहुल गांधी से प्रियंका सहमत
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने गांधी-नेहरू परिवार से बाहर के शख्स को कांग्रेस पार्टी की कमान सौंपने की वकालत की है। उन्होंने राहुल गांधी की राय का समर्थन किया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने गांधी-नेहरू परिवार से बाहर के शख्स को कांग्रेस पार्टी की कमान सौंपने की वकालत की है। उन्होंने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की राय का समर्थन किया है। राहुल ने कहा था कि गांधी परिवार के बाहर के व्यक्ति को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। प्रियंका ने कहा कि शायद राहुल ने इस्तीफा वाले पत्र में नहीं, लेकिन कहीं और कहा था कि गांधी-नेहरू परिवार से कोई पार्टी का अध्यक्ष नहीं होना चाहिए। मैं उनकी बात से पूरी तरह सहमत हूं। यह दावा 13 अगस्त को प्रकाशित 'इंडिया टुमॉरो' किताब में किया गया है। प्रदीप चिब्बर और हर्ष शाह इस किताब के लेखक हैं।
गांधी परिवार का नहीं होगा अध्यक्ष, तब भी मानेंगी 'बॉस'
किताब के अनुसार प्रियंका ने पार्टी के अध्यक्ष पद के मुद्दे पर आगे कहा कि अध्यक्ष भले ही गांधी परिवार से न हो, लेकिन वह उनका बॉस होगा और वह उसकी हर बात मानेंगी। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी अध्यक्ष मुझे कहते हैं कि तुम्हारी जरूरत उत्तर प्रदेश में नहीं, बल्कि अंडमान और निकोबार में है, तो मैं खुशी-खुशी चली जाऊंगी।
2019 लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी का इस्तीफा
बता दें कि 2019 लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन इतना खराब रहा कि राहुल खुद अमेठी से चुनाव हार गए थे। इस्तीफे के बाद राहुल ने पार्टी की एक बैठक में कहा था कि अगला पार्टी अध्यक्ष कोई गांधी-नेहरू परिवार से बाहर का शख्स होना चाहिए। हालांकि, इसके बाद भी अगस्त 2019 में सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया। पिछले एक साल के दौरान पार्टी में राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाने की मांग कई बार उठ चुकी है।
और क्या है किताब में
'इंडिया टुमॉरो' किताब के अनुसार 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजनीति में कदम रखने वालीं प्रियंका गांधी ने राहुल गांधी को खुद से अधिक बुद्धिमान और अपना सबसे अच्छा मित्र बताया है। साथ ही उन्होंने अपने पति रॉबर्ट वाड्रा पर लगे आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है। इसके अलावा प्रियंका गांधी ने 1984 में उनकी दादी इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, अगले 7 साल, यानी 1991 में उनके पिता राजीव गांधी की हत्या तक, डर के माहौल में जीने का भी जिक्र है।
इस बारे में कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट के जरिए कहा कि नेहरू-गांधी परिवार ने सत्ता के मोह से दूर, सदा सेवाभाव से कांग्रेस को एक सूत्र में बांधे रखा है। 2004 में सोनिया जी ने सत्ता की बजाय पार्टी की सेवा चुनी। 2019 में राहुल जी ने भी दृढ़ विश्वास की हिम्मत दिखाई और कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया। यही वह निडरता और अदम्य साहस है जिसकी कांग्रेस को ही नहीं बल्कि देश को सबसे ज़्यादा जरूरत है।
हम प्रियंका गांधी की एक वर्ष पुरानी टिप्पणी (1 जुलाई, 2019) में अचानक उपजी प्रायोजित मीडिया की रुचि (सत्तारूढ़ भाजपा के इशारे पर) के खेल को समझते हैं। लाखों कांग्रेस कार्यकर्ता राहुल जी के अनथक संघर्ष व संकल्प के गवाह हैं, जिससे उन्होंने इस लड़ाई का नेतृत्व किया है। न विपरीत स्थिति की परवाह की और न ही मोदी सरकार के विभत्स हमलों की।