2014 में PM मोदी ने उठाया था यह कदम, आज पाकिस्तान के पास रोने के लिए सिर्फ चीन का कंधा
कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान मुस्लिम बहुल देशों को अपनी तरफ करने की कोशिश में लगा है। लेकिन कोई भी देश उसका साथ देने के लिए तैयार नहीं है। जानें ऐसा क्यों
नई दिल्ली,आइएएनएस। पाकिस्तान कश्मीर पर लिए गए भारत सरकार के फैसले से बुरी तरह बौखलाया हुआ है। जम्मू-कश्मीर से जब से अनुच्छेद 370 को खत्म कर विशेष राज्य का दर्जा छीना गया है। तभी से पाकिस्तान खफा है। वह कश्मीर मुद्दे पर वैश्विक नेताओं का समर्थन हासिल करने में लगा है लेकिन उनकी सारी कोशिश नाकाम साबित हो रही हैं। इस्लामाबाद के राजनयिक सभी देशों के साथ बातचीत कर रहे हैं। साथ ही प्रधानमंत्री इमरान खान कई देशों के नेताओं को व्यक्तिगत रूप से फोन कर बात कर रहे हैं। खान मुस्मिल बहुल देशों के नेताओं के साथ बातचीत में हैं, लेकिन कोई भी पाकिस्तान का साथ देने के लिए तैयार नहीं है। आज पाकिस्तान के पास बस चीन का कंधा मौजूद है।
2014 से पड़ोसी देशों के साथ संबंध अच्छे करने में लगे थे पीएम मोदी
2014 में पहली बार सत्ता में आने के बाद से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने समय के एक बड़े हिस्से को व्यक्तिगत रूप से विदेशी संबंधों को मजबूत करने के लिए निवेश किया। इस दौरान ना उन्होंनें अन्य देशों के साथ बल्कि खाड़ी देशों के साथ भी उन्होंने अपने रिश्तें मजबूत किए हैं। उनके इस कदम का ही नतीजा है कि आज पाकिस्तान के पास चीन के अलावा रोने के लिए कोई कंधा नहीं है। इस्लामिक सहयोग संगठन के एक महत्वपूर्ण सदस्य संयुक्त अरब अमीरात ने भारत का समर्थन करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर पर भारत का कदम आंतरिक मामला है।
पाकिस्तान के समर्थन में नहीं कोई देश
सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को जब इमरान खान ने उन्हें फोन कर कश्मीर मुद्दे पर शिकायत की तो उन्होंने इसपर कुछ नहीं कहा। वहीं मलेशिया के महाथिर मोहम्मद और तुर्की के रेसेप तईप एर्दोगान ने भी कश्मीर मुद्दे पर किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसके बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने ओआईसी कश्मीर समूह के साथ संपर्क किया और आपातकालीन बैठक बुलाई।
ओआईसी कश्मीर समूह, जो हमेशा कश्मीर पर पाकिस्तान का समर्थन करता है। उसने भारत के इस कदम को अवैध करार दिया। भारत कश्मीर पर ओआईसी के नियमित बयानों को खंगाल रहा है। प्रधान मंत्री मोदी की खाड़ी देशों की यात्रा जैसे विशेष रूप से सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, दो फारस की खाड़ी के देशों शामिल है। पीएम मोदी की ये यात्रा इस वक्त भारत के लिए काफी फलदायक रहे है।
पीएम मोदी की प्राचंड जीत भी आई काम
साथ ही मोदी प्राचंड बहुमत के साथ चुनावी जीत और भारत की आर्थिक और सामाजिक स्थिरता भी इसमें प्रमुख कारक हैं। ये सभी देश भारत के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की उज्ज्वल वित्तीय संभावनाओं को देखते हैं। मोदी सरकार की 'लुक वेस्ट' नीति को इसके धन्यवाद किया जाना चाहिेए। जिसकी वजह से खाड़ी देश भारत अभिन्न अंग बन गया है।
लगभग 20 लाख भारतीय नागरिक सऊदी अरब में रहते हैं और संयुक्त अरब अमीरात में लगभग 20 लाख काम करते हैं। पाकिस्तान यह महसूस करने में विफल रहा है कि अरब राज्य नई दिल्ली की सफलताओं को देखते हुए वहां इन्वेस्ट करने के लिए इस्लामाबाद को पीछे छोड़ना पसंद करेंगे। मोदी की आउटरीच की गहराई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूएई ने उन्हें सम्मानित किया था। इस वर्ष अप्रैल में राजाओं, राष्ट्रपतियों और राष्ट्र प्रमुखों को दी जाने वाली सर्वोच्च पदक से उन्हें सम्मानित किया गया।
दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही दोस्ती और संयुक्त रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने में पीएम मोदी की भूमिका के लिए उन्हें यह सम्मान दिया गया था। 2016 में, मोदी को सऊदी अरब के सर्वोच्च नागरिक सम्मान - किंग अब्दुलअजीज सैश द्वारा राजा सलमान बिन अब्दुलअजीज द्वारा सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार आधुनिक सऊदी राज्य के संस्थापक अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद के नाम पर है। फरवरी 2019 में सऊदी क्राउन प्रिंस की भारत यात्रा पर आए थे। ठीक उसी समय वे पाकिस्तान भी गए थे। तब उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ सख्त भाषा का प्रयोग किया। साथ ही उन्होंने पुलवामा हमले की निंदा भी की थी।
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