Presidential Election of India 2022: ... तो इसलिए राष्ट्रपति चुनाव में नहीं प्रयोग होती ईवीएम
Presidential Election of India 2022 राष्ट्रपति चुनाव में चयन की प्रक्रिया इतनी सीधी नहीं है। इसमें हर मतदाता (सांसद और विधायक) के पास सभी प्रत्याशियों को प्राथमिकता के आधार पर वोट देने का अधिकार होता है। बैलेट पेपर के माध्यम से राष्ट्रपति चुनाव होता है।
नई दिल्ली, पीटीआई। 16वें राष्ट्रपति चुनाव की तारीख का एलान हो गया है। मतों के गणित से लेकर चुनाव की प्रक्रिया तक पर चर्चा हो रही है। इन सबके बीच एक प्रश्न मन में आता है कि आखिर लोकसभा और विधानसभा जैसे बड़े-बड़े चुनाव जिस ईवीएम से हो जाते हैं, उसका प्रयोग राष्ट्रपति चुनाव में क्यों नहीं होता है?
सीधी चयन प्रक्रिया के लिए है इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन: ईवीएम यानी इलेक्ट्रानिक र्वोंटग मशीनों को सीधी चयन प्रक्रिया के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें किसी सीट के सभी प्रत्याशियों का नाम रहता है और मतदाता को अपना पसंदीदा प्रत्याशी चुनना होता है। किसी प्रत्याशी को मिले वोट की गणना से जीत या हार का निर्णय होता है।
अब तक का सफर
- 1977 पहली बार आयोग ने हैदराबाद की इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड को इस तरह की मशीन बनाने का काम सौंपा था
- 1979 प्रोटोटाइप बना, जिसे आयोग ने छह अगस्त, 1980 को राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के समक्ष प्रदर्शित किया
- 1982 केरल विस चुनाव में इसका प्रयोग हुआ, लेकिन इस संबंध में कोई कानून न होने के कारण चुनाव रद हो गया
- 1989 संसद ने जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 में संशोधन करते हुए चुनाव में ईवीएम के प्रयोग का प्रविधान जोड़ा
- 1998 आम सहमति बन पाई और मध्य प्रदेश, राजस्थान व दिल्ली के 25 सीटों पर इनका प्रयोग किया गया
- 2001 तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और बंगाल के विस चुनावों में सभी सीटों पर ईवीएम का प्रयोग हुआ। तब से सभी विस चुनाव ईवीएम से कराए जा रहे हैं
- 2004 पहली बार लोकसभा चुनाव में ईवीएम का प्रयोग हुआ। 543 सीटों के लिए 10 लाख से ज्यादा मशीनों का प्रयोग किया गया
हस्तांतरणीय मतों के आधार पर होती है राष्ट्रपति के लिए वोटिंग: राष्ट्रपति चुनाव में चयन की प्रक्रिया इतनी सीधी नहीं है। इसमें हर मतदाता (सांसद/विधायक) के पास सभी प्रत्याशियों को प्राथमिकता के आधार पर वोट देने का अधिकार होता है। उदाहरण के तौर पर यदि पांच प्रत्याशी खड़े हैं, तो मतदाता सभी प्रत्याशियों के नाम के लिए एक से पांच तक अपनी प्राथमिकता लिख सकता है। यदि पहली प्राथमिकता वाले मतों की गणना से किसी भी प्रत्याशी को बहुमत नहीं मिलता है, तो मतों का हस्तांतरण करते हुए दूसरी प्राथमिकता के मतों की गणना होती है। ईवीएम को इस तरह की वोटिंग के लिए तैयार नहीं किया गया है। इसीलिए बैलेट पेपर के माध्यम से राष्ट्रपति चुनाव होता है।