मालदीव के राष्ट्रपति अमीन भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने में जुटे
राष्ट्रपति अमीन ने मालदीव में अपना चुनाव प्रचार शुरु किया और वह भारत विरोधी भावनाओं को भी भड़काने का काम कर रहे हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हिंद महासागर में स्थित छोटा सा पड़ोसी देश मालदीव भारतीय कूटनीति के लिए एक बड़े सिरदर्द के तौर पर उभर रहा है। मालदीव की सरकार ने वहां चुनाव करवाने का ऐलान किया है, लेकिन अभी वहां जिस तरह से संसद व न्यायपालिका पर नियंत्रण करने की कोशिश की जा रही है उसे देखते हुए वहां निष्पक्ष चुनाव होने के आसार कम ही है। ऐसे में भारत को आशंका है कि सितंबर, 2018 में होने वाली चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह से दिखावा होगा और वहां फिर से मौजूदा राष्ट्रपति अबदुल्लाह अमीन के नियंत्रण वाली ही सरकार बनेगी जो लगातार भारत के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं।
मालदीव में नहीं है निष्पक्ष चुनाव का माहौल
राष्ट्रपति अमीन ने इस हफ्ते ही मालदीव में अपना चुनाव प्रचार शुरु किया है और वह परोक्ष तौर पर भारत विरोधी भावनाओं को भी भड़काने का काम कर रहे हैं। अपने भाषण में वह इस्लामिक मूल्यों को बढ़ावा देने और विदेशी दबाव के खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान कर रहे हैं। चुनाव का ऐलान होने के बावजूद जिस तरह से वह भारत विरोधी एजेंडा को आगे बढ़ाते हुए चीन का समर्थन करने वाली नीतियों को लागू कर रहे हैं वह भारत के लिए निश्चित तौर पर चिंता की बात है।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि हाल के हफ्तों में मालदीव की कंपनियां भारतीयों को जान बूझ कर नई नौकरी नहीं दे रही हैं। जिन भारतीयों को पहले रोजगार के लिए चयन किया गया था उन्हें ज्वाइन नहीं करने दिया जा रहा है। दूसरी तरफ सरकार ने दो दिन पहले ही यह घोषणा की है कि चीन से सीधी उड़ान शुरु करने की तैयारी है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का कहना है कि हम मालदीव के हालात पर पैनी नजर बनाये हुए हैं। सनद रहे कि राष्ट्रपति अमीन ने 5 फरवरी को मालदीव में आपातकाल लागू कर दिया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को भी पलट दिया था जिसमें विपक्षी नेताओं को जेल से रिहा करने और विपक्षी नेताओं के स्वदेश वापसी का रास्ता साफ हो रहा था। पूर्व राष्ट्रपति व अभी निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे मोहम्मद नशीद ने भारत से सैन्य मदद की मांग की थी।
रवीश कुमार ने कहा कि हमने मालदीव सरकार से आग्रह किया है कि वहां चुनाव से पहले कानून के मुताबिक सरकार चलाने की व्यवस्था होनी चाहिए व सभी लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन सुनिश्चित की जानी चाहिए। वहां निष्पक्ष चुनाव के लायक माहौल नहीं है।
सनद रहे कि राष्ट्रपति अमीन के पिछले दो वर्षो के कार्यकाल में मालदीव में सिर्फ भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा मिला है। हाल ही में फरवरी, 2018 में वहां के सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले को भी पलट दिया था जिसमें विपक्षी नेताओं को जेल से रिहा करने और विपक्षी नेताओं के स्वदेश वापसी का रास्ता साफ हो रहा था। इससे वहां पूर्व राष्ट्रपति व अभी निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे मोहम्मद नशीद के मालदीव लौटने का रास्ता साफ हो रहा था।
मोहम्मद नशीद को सत्ता से बेदखल करने के फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट ने गैर कानूनी ठहराया था। लेकिन उसके बाद राष्ट्रपति अमीन ने वहां आपातकाल लागू कर दिया था। भारत लगातार इस आपातकाल को हटाने की मांग कर रहा है।