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राज्यसभा के लिए RSS विचारक राकेश सिन्हा सहित 4 सदस्य मनोनीत

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा में मनोनीत सांसदों के नामों का ऐलान कर दिया है। लिस्ट में राकेश सिन्हा का नाम शामिल।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Sat, 14 Jul 2018 12:21 PM (IST)Updated: Sat, 14 Jul 2018 03:39 PM (IST)
राज्यसभा के लिए RSS विचारक राकेश सिन्हा सहित 4 सदस्य मनोनीत
राज्यसभा के लिए RSS विचारक राकेश सिन्हा सहित 4 सदस्य मनोनीत

नई दिल्ली (एएनआइ)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए चार सदस्यों को मनोनीत किया है। इस लिस्ट में पहला नाम किसान नेता राम सकल का है। अन्य नामों में लेखक व स्तंभकार राकेश सिन्हा, मूर्तिकार रघुनाथ महापात्रा और शास्त्रीय नर्तकी सोनल मानसिंह का नाम शामिल है। ये चारों अलग-अलग क्षेत्र से आते हैं। 

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कौन हैं राम सकल?
- उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले राम सकल किसान नेता हैं।
- वे पूर्व में 3 बार सांसद भी रह चुके हैं।
- वे सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार सांसद रहे।
- संसद में श्रम और कल्याण, ऊर्जा, कृषि, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की समितियों के पूर्व सदस्य रह चुके।
- इनकी छवि किसानों, श्रमिकों और प्रवासियों के हितों की बात करनेवाले किसान नेता की है।
- इन्होंने दलित समुदाय के उत्थान के लिए काफी काम किया है।

कौन हैं सोनल मानसिंह?

- सोनल मान सिंह मशहूर भरतनाट्यम नृत्यांगना हैं।
- मणिपुरी और कुचिपुड़ी डांस फॉर्म्स में भी प्रशिक्षित।
-  उन्हें कोरियाग्राफर, टीचर, वक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर भी जाना जाता है।
- फिलहाल वह इंदिरा गांधी नैशनल सेंटर ऑर आर्ट की ट्रस्टी और सेंटर अडवाइजरी बोर्ड ऑन कल्चर की सदस्य हैं।
- इससे पहले संगीत नाटक अकादमी की चेयरपर्सन भी रही हैं।
- 1977 में दिल्ली में सेंटर फॉर इंडियन क्लासिकल डांसेज की संस्थापक
- उन्हें पद्मभूषण (1992) और पद्मविभूषण (2003) से नवाजा जा चुका है।
- मौजूदा सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के लिए चुने गए नवरत्नों में दी जगह।


कौन हैं रघुनाथ महापात्रा?

- 75 वर्षीय रघुनाथ महापात्रा मूर्तिकार हैं।
- पत्थरों को आकार देने की उनकी खूबी के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन्हें शिल्प गुरु कहा जाता है।
- रघुनाथ महापात्रा ने जगन्नाथ मंदिर से संबंधित महत्वपूर्ण काम किया है।
- इनके प्रसिद्ध कार्यों में ओसाका (जापान) का अशोकन पिलर, पैरिस में बुद्ध मंदिर भी है। 
- वर्तमान में वे उड़ीसा ललित कला अकादमी के अध्यक्ष हैं।
- अवार्ड - पद्मविभूषण (2013), पद्म भूषण (2001), पद्मश्री (1975)। 2006 में शिल्पी गुरु टाइटल से सम्मानित।
-  22 साल की उम्र में 1964 में उन्हें मूर्ति कला के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था।


कौन हैं राकेश सिन्हा?

- राकेश सिन्हा लेखक और स्तंभकार हैं। उनके कई लेख इंडियन एक्सप्रेस, इकनॉमिक टाइम्स, एशियन एज, डीएनए जैसे अखबारों में पढ़े जाते हैं।
- दिल्ली यूनिवर्सिटी के मोतीलाल नेहरू कॉलेज में प्रोफेसर हैं।
- यह दिल्ली स्थित थिंक टैंक इंडिया पॉलिसी फाउंडेशन (IPF) के संस्थापक और मानद निदेशक हैं।
- इस समय इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च के बोर्ड मेंबर हैं।
- वह पहले हिंदी सलाहकार समिति और फिल्म सर्टिफिकेशन अपीलेट ट्रिब्यूनल के सदस्य भी रहे हैं।
- आरएसएस के विचारक हैं।
- स्वराज इन आइडिया (2016) समेत कई किताबें लिखीं है। इसमें  हेडगेवार की जीवनी भी शामिल है।
-  इन्हें केंद्रीय हिंदी संस्थान की ओर से दीनदयाल उपाध्याय अवॉर्ड भी मिल चुका है।

फिल्म और खेल जगत का कोई नाम नहीं 
खास बात यह है कि इस बार फिल्म या खेल जगत से किसी भी हस्ती को राज्यसभा नहीं भेजा गया है। जिन चारों हस्तियां को मनोनीत किया गया है वे चार अलग-अलग राज्यों से हैं और ये अपने-अपने क्षेत्र में काफी मशहूर हैं।हालांकि इससे पहले पूर्व क्रिकेटर कपिल देव, फिल्म अभिनेत्री माधुरी दीक्षित, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार से आने वाले चंद्र कुमार बोस आदि के नाम चर्चा में थे है। हालांकि राष्ट्रपति के ऐलान के बाद सभी कयास खत्म हो गए हैं। गौरतलब है कि मनोनीत सांसदों के कोटे के क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, फिल्म अभिनेत्री रेखा व अनु आगा का कार्यकाल समाप्त होने से रिक्तयां हुई हैं।

उच्च सदन में बढ़ेगी ताकत

चार मनोनीत सांसदों के बाद संसद में भाजपा व एनडीए की ताकत और बढ़ेगी। 245 सदस्यीय राज्यसभा में भाजपा अब सबसे बड़ी पार्टी है और उसके 69 सांसद है। कांग्रेस 50 सांसदों के साथ दूसरे नंबर पर है। एनडीए और उसको समर्थन देने वाले दलों की संख्या लगभग 100 है।

सचिन-रेखा की उपस्थिति को लेकर उठते रहे सवाल
राज्यसभा से रिटायर हुए सचिन तेंदुलकर और अभिनेत्री रेखा की सदन में उपस्थिति को लेकर हमेशा सवाल खड़े होते रहे हैं। तेंदुलकर और रेखा को सरकार ने खेल और कला क्षेत्र से नामित किया था, लेकिन दोनों की चर्चा बहसों के बजाय सदन में अनुपस्थिति को लेकर ज्यादा हुई। यहां तक की कई सांसदों ने सदन में उनकी अनुपस्थिति का मुद्दा भी उठाया। सचिन तेंदुलकर की किसी भी सत्र में अधिकतम उपस्थति 23 फीसद रही, कुछ ऐसा ही हाल रेखा का भी रहा।


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