दो साल का कार्यकाल पूरा कर चुके राष्ट्रपति कोविंद ने राज्यों से दूरी घटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी
राष्ट्रपति कोविंद ने पर्यावरण संरक्षण की पहल को लेकर अपनी पहल को और गति देते हुए राष्ट्रपति भवन में प्लास्टिक की बोतलों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय और वैश्विक जिम्मेदारियों की व्यस्तताओं के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन की राज्यों से दूरी घटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अपने कार्यकाल का दो वर्ष पूरे कर चुके राष्ट्रपति कोविंद प्रति दिन औसतन 23 लोगों से मुलाकात करते हैं। राष्ट्रपति से रोजना मिलने वाले लोगों में सैनिक, किसान, वैज्ञानिक से लेकर शिक्षाविद शामिल हैं।
संवैधानिक भूमिका के दायरे में राष्ट्रपति की सक्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते एक साल में 25 जुलाई 2018 से 24 जुलाई 2019 के बीच रामनाथ कोविंद ने 8,448 लोगों से मुलाकात की।
राज्यों के दौरे और राष्ट्रपति भवन में व्यक्तिगत या छोटे समूहों में इतनी संख्या में लोगों ने कोविंद से संवाद किया। 25 जुलाई 2017 को देश के राष्ट्रपति की कमान संभालने के बाद अपने दो साल के कार्यकाल में संवैधानिक जिम्मेदारी के निर्वहन के साथ-साथ कोविंद ने राज्यों के दौरे को अपनी प्राथमिकता में शामिल रखा।
राष्ट्रपति भवन और राज्यों के बीच दूरी घटाने के अपने नजरिये के तहत रामनाथ कोविंद ने बीते एक साल में 16 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश की यात्रा की है। इसमें सबसे अधिक 6 बार देश के सबसे बड़े सूबे उत्तरप्रदेश की तो तमिलनाडु की चार यात्राएं की।
वहीं वैश्विक कूटनीति में भारत की प्रभावी भूमिका निभाने की पहल के तहत राष्ट्रपति कोविंद ने 10 देशों की यात्रा की और आस्ट्रेलिया, बोलिविया और क्रोशिया का राजकीय दौरा करने वाले भारत के पहले राष्ट्रपति बने। जबकि एक वर्ष के दौरान 19 अलग-अलग देशों के राष्ट्र प्रमुखों से राष्ट्रपति भवन में द्विपक्षीय वार्ता की और छह राष्ट्राध्यक्षों की रायसिना हिल्स में मेजबानी भी की।
शीर्ष न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति के मामले में भी राष्ट्रपति ने तत्परता दिखाई है और बीते एक साल में सुप्रीम कोर्ट के 11 जजों के साथ तमाम राज्यों के हाईकोर्ट के 205 जजों की नियुक्ति की।
इन संवैधानिक दायित्वों के साथ राष्ट्रपति कोविंद ने पर्यावरण संरक्षण की पहल को लेकर अपनी पहल को और गति देते हुए राष्ट्रपति भवन में प्लास्टिक की बोतलों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी। अब राष्ट्रपति भवन की बैठकों और समारोहों के दौरान प्लास्टिक बोतल की जगह शीशे के ग्लास में पानी दिए जाते हैं।
#नतीजों के बाद यदि किसी दल को बहुमत न मिले तब राष्ट्रपति स्वविवेक का इस्तेमाल करतें हैं