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राज्यसभा में मोटर बिल पेश, विपक्षी सदस्यों ने कहा - सड़क सुरक्षा की उपेक्षा

राज्यसभा में सोमवार को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री मनसुखभाई मांडविया ने मोटर संशोधन विधेयक, 2017 पेश किया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 09:44 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 09:44 PM (IST)
राज्यसभा में मोटर बिल पेश, विपक्षी सदस्यों ने कहा - सड़क सुरक्षा की उपेक्षा
राज्यसभा में मोटर बिल पेश, विपक्षी सदस्यों ने कहा - सड़क सुरक्षा की उपेक्षा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यसभा में मोटर बिल पर चर्चा में विपक्ष ने सरकार पर सड़क सुरक्षा की उपेक्षा के साथ निजीकरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। तृणमूल कांग्रेस ने विधेयक में संशोधनों के साथ मतविभाजन कराने के संकेत दिए हैं।

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राज्यसभा में सोमवार को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री मनसुखभाई मांडविया ने मोटर संशोधन विधेयक, 2017 पेश किया। उन्होंने कहा कि सदस्यों की राय के आधार पर विधेयक में कई नए संशोधन किए गए हैं। बिल पर चर्चा की शुरुआत कांग्रेस के हरिप्रसाद ने की।

उन्होंने कैबिनेट मंत्री नितिन गडकरी की अनुपस्थिति का जिक्र करते हुए बिल में सड़क सुरक्षा के उपाय न होने की बात उठाई। हरिप्रसाद, जो कि बिल की समीक्षा करने वाली समिति के सदस्य थे, ने कहा कि बिल के 92 उपबंधों में केवल तीन में सड़क सुरक्षा का जिक्र है।

मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ आरटीओ के अधिकार कम करना चाहता है। अब डीलर भी वाहन का पंजीकरण कर सकेगा। जहां आरटीओ 500 रुपये लेता है, वहीं डीलर 15 हजार रुपये वसूलेगा। इससे भ्रष्टाचार कैसे खत्म होगा? जुर्माने इतने अधिक हैं कि वाहन बेचना पड़ सकता है। बिल से केवल कारपोरेट सेक्टर को फायदा पहुंचेगा  और लाभप्रद परिवहन निगम बंद हो जाएंगे।

प्रवर समिति के अध्यक्ष रहे विनय सहस्रबुद्धे ने बिल की खूबियां गिनाई। उनका कहना था कि इसमें ड्राइवरों की ट्रेनिंग, सीट बेल्ट को अनिवार्य कर दिया गया है। एंबुलेंस को रास्ता न देने वालों को दंड मिलेगा।

बिल की समीक्षा करने वाली स्थायी संसदीय समिति के सदस्य रहे सपा के विशंभर प्रसाद निषाद ने कहा कई राज्यों ने बिल पर चर्चा के लिए अपने परिवहन मंत्री नहीं भेजे थे। उन्होंने सरकार को खराब क्वालिटी के हेलमेट के साथ वाहनों की ओवरलोडिंग पर अंकुश लगाने का सुझाव दिया। साथ ही आम सड़कों पर ड्राइविंग ट्रेनिंग पर रोक लगाए जाने की मांग की।

तृणमूल कांग्रेस के मनीष गुप्ता ने बिल में केंद्र को अत्यधिक अधिकार दिए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा हम परमिट कम करने के पक्ष में हैं, जबकि बिल इन्हें बढ़ावा देता है। राष्ट्रीय परिवहन प्राधिकरण का विरोध करते हुए उन्होंने आशंका जताई कि इससे ट्रांसपोर्ट आपरेटरों की जगह बड़ी कंपनियां ले लेंगी। डेरेक ओ ब्रायन ने बिल में संशोधनों के साथ मतविभाजन की मंशा जताई।

जदयू के हरिवंश ने कहा कि ये बिल दो दशक पहले आना चाहिए था। माकपा के इलामारम करीम ने कहा कि बिल में निजीकरण का एजेंडा छुपा है। थर्ड पार्टी बीमा को अनिवार्य करने से परिवहन निगम बंद हो जाएंगे। बिल ब्रांडेड स्पेयर के साथ कंपनी के सर्विस सेंटर पर जोर देता है, जिससे छोटे मोटर मैकेनिक सड़क पर आ जाएंगे।

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समाप्त-संजय


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