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मिशेल के बाद अब पुरुलिया कांड के गुनहगार किम डेवी को भारत लाने की तैयारी

1995 में पुरुलिया में हथियार गिराने के मामले के मुख्य आरोपित निएल्स हॉल्क उर्फ किम डेवी को भारत लाने की तैयारी शुरू हो गई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 07:57 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 10:13 PM (IST)
मिशेल के बाद अब पुरुलिया कांड के गुनहगार किम डेवी को भारत लाने की तैयारी
मिशेल के बाद अब पुरुलिया कांड के गुनहगार किम डेवी को भारत लाने की तैयारी

नई दिल्ली, प्रेट्र। 1995 में पुरुलिया में हथियार गिराने के मामले के मुख्य आरोपित निएल्स हॉल्क उर्फ किम डेवी को भारत लाने की तैयारी शुरू हो गई है। डेनमार्क के प्रधानमंत्री लार्श रासमुशेन ने शनिवार को कहा कि किम डेवी को भारत प्रत्यर्पित करने के मुद्दे का राजनीतिक रूप से समाधान हो चुका है। अब डेनमार्क के स्वतंत्र अधिकारी मामले को देख रहे हैं।

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 क्या है मामला
17 दिसंबर 1995 की रात एएन-26 विमान से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में हथियार और गोलाबारूद गिराए गए थे। गिराए गए हथियारों में सैकड़ों एके-47 राइफल, पिस्तौल, टैंक रोधी बम, राकेट लांचर और हजारों राउंड गोलियां शामिल थीं। जांच के ब्योरे के मुताबिक, क्रू में पांच लातवियाई नागरिक और ब्रिटिश नागरिक पीटर ब्लीच शामिल थे। सभी को गिरफ्तार कर लिया गया था। एक डेनिश नागरिक और मामले में मुख्य आरोपित भाग निकलने में कामयाब रहा था।

किम डेवी के प्रत्यर्पण के बारे में पूछे जाने पर डेनमार्क के प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक रूप से मुद्दे का समाधान कर लिया गया है। नई दिल्ली में डेनिश कल्चरल इंस्टीट्यूट के उद्घाटन कार्यक्रम से इतर उन्होंने बताया, 'इस समस्या को राजनीतिक रूप से सुलझा लिया गया है। अधिकारियों के बीच वार्ता हुई है। पिछले वर्ष अप्रैल में सहमति बनी थी कि हमें (भारत और डेनमार्क) स्वतंत्र अधिकारियों को अपना काम करना देना चाहिए।'

 कोपनहेगन की अदालत ने प्रत्यर्पण खारिज किया
भारत की किम डेवी को प्रत्यर्पित करने की मांग डेनिश सरकार ने स्वीकार कर ली है। लेकिन उसने कोपनहेगन की एक अदालत में कार्यवाही को चुनौती दी है। कोर्ट ने प्रत्यर्पण खारिज कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गांधीनगर में वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट 2019 में रासमुशेन से मुलाकात की थी। डेनमार्क के प्रधानमंत्री ने कहा कि शुक्रवार को हुई मुलाकात में हमने इस मुद्दे पर कोई बात नहीं की। इस बारे में अप्रैल में स्टाकहोम में वार्ता हुई थी।


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