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सहकारिता मंत्रालय के गठन की तैयारियां पूरी, कैबिनेट की आज लग सकती मुहर

सहकारिता मंत्रालय के गठन की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। अलग मंत्रालय बनाने की निर्धारित कानूनी प्रक्रिया अंतिम दौर में है। गंभीर विचार-विमर्श के बाद तैयार कैबिनेट मसौदा वितरित हो चुका है जिस पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को होने वाली बैठक में मुहर लग जाने की संभावना है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 07:42 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 07:42 PM (IST)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सहकारिता मंत्रालय का अतिरिक्‍त प्रभार

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। सहकारिता मंत्रालय के गठन की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। अलग मंत्रालय बनाने की निर्धारित कानूनी प्रक्रिया अंतिम दौर में है। गंभीर विचार-विमर्श के बाद तैयार कैबिनेट मसौदा वितरित हो चुका है, जिस पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को होने वाली बैठक में मुहर लग जाने की संभावना है। सहकारी क्षेत्र में प्राइमरी सोसायटी से लेकर मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सेक्टर को रेगुलेट करने के लिए प्रस्तावित नवगठित मंत्रालय में चार से पांच संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति की जा सकती है।

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नए मंत्रालय को मिल सकते हैं चार से पांच संयुक्त सचिव

नवगठित मंत्रालय में तीन अहम सेक्शन बनेंगे, जिनकी जिम्मेदारी संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों को सौंपी जा सकती है। अब तक सहकारिता विभाग कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन प्रशासनिक तौर पर उपेक्षित तरीके से काम करता था। इसके लिए कोई संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी तक नियुक्त नहीं होता था, लेकिन सरकार ने इस विभाग की अहमियत को भांपते हुए नया सहकारिता मंत्रालय बनाने का फैसला किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के फैसले की घोषणा संसद में की जा सकती है।

प्रशासनिक, कानूनी और नीतिगत ढांचे से लैस होगा नया मंत्रालय

सूत्रों के मुताबिक सहकारिता मंत्रालय के कैबिनेट नोट पर अन्य सभी मंत्रालयों की टिप्पणियां प्राप्त हो चुकी हैं। इसे बुधवार को कैबिनेट में मंजूरी के लिए रखा जा सकता है। नया मंत्रालय बन जाने के बाद सहकारिता क्षेत्र को प्रशासनिक, कानूनी और नीतिगत ढांचा उपलब्ध हो जाएगा, जिससे सहकारी आंदोलन को बल मिलेगा। इससे समाज के निचले स्तर तक लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। सहकारिता क्षेत्र में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार व अनियमितता को दुरुस्त किया जा सकेगा। सहकारी आंदोलन के सहारे गांव, गरीब, किसान, बुनकर, मछुआरों और उपभोक्ताओं को सशक्त बनाया जा सकेगा।

सहकारी आंदोलन को मिलेगा बल, बढ़ेंगे रोजगार के मौके

नए सहकारिता मंत्रालय का गठन कारपोरेट अफेयर्स मंत्रालय की तर्ज पर किया जाएगा। देश में फिलहाल आठ लाख सहकारी संस्थाओं के लगभग 40 करोड़ सदस्य होने का दावा किया जाता है, जिसमें समाज के निचले तबके और जरूरतमंद लोगों की संख्या ज्यादा है। नए मंत्रालय के दायरे में राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम, सेंट्रल रजिस्ट्रार, सहकारी शिक्षण व प्रशिक्षण के साथ प्रमोशन आफ कोआपरेशन जैसे विषय प्रमुख होंगे।

ग्रामीण क्षेत्रों में 14 हजार से अधिक सहकारी बैंकों की शाखाएं काम कर रही हैं, लेकिन इन बैंकों में व्याप्त भ्रष्टाचार व अनियमितताओं को दूर करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने उन्हें अपने दायरे में ले लिया है। देश के लाखों महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जुड़ी करोड़ों महिलाओं को सहकारिता मंत्रालय के गठन का लाभ मिलेगा। बुनकर, मछुआरे, डेयरी क्षेत्र, हाउसिं‍ग, लेबर, हेल्थ व बीमा क्षेत्र में सहकारी संस्थाएं आगे बढ़कर काम कर पाएंगी। युवाओं के शिक्षण व प्रशिक्षण की सख्त जरूरत है, जो अब पूरी होगी, जिससे युवाओं को रोजगार प्राप्त हो सकेगा।


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