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AAP की जीत के साथ और बेहतर हुआ PK का स्ट्राइक रेट, अब तक छह चुनावों में दिला चुके हैं जीत

Delhi Elections 2020 आज के दौर में प्रशांत किशोर की डिमांड सभी पार्टियों में है और वे सबसे चहेते चुनावी रणनीतिकार के रूप में उभरे हैं। (PC ANI)

By Ankit KumarEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 03:00 PM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 03:00 PM (IST)
AAP की जीत के साथ और बेहतर हुआ PK का स्ट्राइक रेट, अब तक छह चुनावों में दिला चुके हैं जीत

नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आम आदमी पार्टी बड़ी जीत की ओर बढ़ रही है। केजरीवाल की इस जीत में चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की अहम भूमिका मानी जा रही है। पार्टी के चुनाव प्रचार एवं अभियान से जुड़ी तैयारियों को दिशा देने में उनका बड़ा हाथ रहा है। यही वजह है कि AAP की जीत के बाद 'पीके' नाम से मशहूर प्रशांत किशोर का सियासी कद और बढ़ गया है।

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बेहतर हुआ किशोर का स्ट्राइक रेट

दिल्ली में केजरीवाल की जीत के साथ किशोर ने अपना स्ट्राइक रेट और बेहतर कर लिया है। उन्होंने अब तक सात चुनावों की जिम्मेदारी ली है, जिनमें छह में वह कामयाब रहे हैं। इस तरह उनका स्ट्राइक रेट अभी 85.71 का हो गया है।

2012 के गुजरात चुनाव से आगाज

आज के दौर में प्रशांत किशोर की डिमांड सभी पार्टियों में है और वे सबसे चहेते चुनावी रणनीतिकार के रूप में उभरे हैं। हालांकि, इसकी शुरुआत 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव के समय हुई। साल 1977 में जन्मे किशोर एक हेल्थ एक्सपर्ट हैं और राजनीति में पदार्पण से पहले वह लगभग आठ साल तक संयुक्त राष्ट्र से जुड़े थे। 2012 के गुजरात चुनाव में नरेंद्र मोदी की लगातार तीसरी जीत के साथ किशोर ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी एवं मोदी के प्रचार अभियान की रणनीति तैयार करने में उन्होंने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस जीत के बाद सियासी फलक पर स्टार रणनीतिकार के रूप में किशोर का उभार हुआ।

किशोर के दिमाग की उपज थी 'चाय पे चर्चा'

उन्हें 2014 के चुनावों के दौरान भाजपा के लिए 'चाय पे चर्चा', 'मंथन' और विभिन्न सोशल मीडिया अभियान डिजाइन चलाने का श्रेय दिया जाता है। इसी दौरान उन्होंने विभिन्न कॉलेजों एवं कंपनियों के करीब 200 युवा पेशेवरों के साथ लेकर गैर-सरकारी संगठन Citizens for Accountable Governance (CAG) की स्थापना की।

जदयू गठबंधन को दिलायी जीत

हालांकि, 2014 के चुनाव में मोदी की जीत के बाद 2015 में किशोर की राह भाजपा से अलग हो गई। इसी दौरान उन्होंने CAG का पुनर्गठन करते हुए Indian Political Action Committee (I-PAC) की शुरुआत की। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने जदयू के लिए प्रचार की कमान संभाली। इस चुनाव में जदयू की अगुआई वाले गठबंधन का सामना भारतीय जनता पार्टी से था। इस चुनाव में जदयू गठबंधन ने बड़ी जीत दर्ज की और 'पीके' का चेहरा और विश्वसनीय होकर उभरा। 

वर्ष 2018 में नीतीश कुमार ने किशोर को जदयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया। इसके साथ ही वह पार्टी के कद्दावर नेताओं में शामिल हो गए। हालांकि, हाल में CAA और NRC को लेकर मतभिन्नता के कारण कुमार से किशोर की दूरियां बढ़ गईं। इसके बाद जदयू ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए किशोर को निष्कासित कर दिया। 

पंजाब में कांग्रेस को दिला चुके हैं भारी जीत

वर्ष 2016 के पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान किशोर ने कांग्रेस के लिए चुनाव अभियान चलाने की जिम्मेदारी संभाली। राज्य में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की जबरदस्त जीत का श्रेय बहुत हद तक किशोर को भी दिया जाता है। हालांकि, किशोर ने पहली बार हार का स्वाद उत्तर प्रदेश में चखा। 2017 के विधानसभा चुनाव में उनके सामने कांग्रेस को जीत दिलाने की चुनौती थी, जिसमें वह विफल रहे। 2019 के आंध्र प्रदेश चुनाव में उन्होंने वाईएसआर कांग्रेस के लिए थोड़े समय काम किया। इस चुनाव में जगमोहन रेड्डी की अगुआई वाली YSR Congress ने जीत दर्ज की।

अब बंगाल और तमिलनाडु की चुनौती

बिहार के रोहतास जिले में जन्मे किशोर के सामने अब 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में द्रमुक को जीत दिलाने की चुनौती होगी। हालांकि, उनके लिए इससे ज्यादा चुनौतीपूर्ण काम 2021 में ही पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की अगुआई वाली तृणमूल कांग्रेस को एक बार जीत दिलाना होगा। इस राज्य में भारतीय जनता पार्टी कड़ी मेहनत कर रही है। हाल में सीएए और एनआरसी को लेकर किए गए फैसले का असर भी राज्य की राजनीति में देखने को मिलेगा। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि किशोर अपनी राजनीतिक सूझबूझ से किस प्रकार ममता को एक बार से राज्य की सत्ता तक पहुंचाते हैं।


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