प्रशांत किशोरः हेल्थ एक्सपर्ट से 'इलेक्शन एक्सपर्ट' तक का सफर, अब आगे क्या?
कभी प्रशांत किशोर की पहचान चुनावी रणनीतिकार के तौर पर हुई थी और आज वो सक्रिय राजनीति में उतर चुके हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। प्रशांत किशोर को जदयू का उपाध्यक्ष बना दिया गया है। जदयू में उनका कद बहुत बढ़ गया है। कभी प्रशांत किशोर की पहचान चुनावी रणनीतिकार के तौर पर हुई थी और आज वो सक्रिय राजनीति में उतर चुके हैं। नीतीश कुमार को अगली बार सत्ता पर बिठाने की जिम्मेदारी के साथ-साथ संगठन तैयार करने की रणनीति भी अब उन्हीं के जिम्मे है। इसमें कितने सफल हो पाते हैं, यह तो वक्त ही बताएगा।
प्रशांत का राजनीतिक लोगों से मेल मिलाप की जो जानकारी उपलब्ध है, उसके मुताबिक सबसे पहले साल 2011 में नरेंद्र मोदी के संपर्क में आने से हुई। नरेंद्र मोदी उस वक्त गुजरात के प्रधानमंत्री हुआ करते थे। तब उन्होंने प्रशांत किशोर को कुपोषण पर एक पेपर लिखने के लिए संपर्क किया। उस वक्त तक प्रशांत किशोर संयुक्त राष्ट्र में स्वास्थ्य विशेषज्ञ थे।
2012 का गुजरात चुनाव
इसके बाद प्रशांत किशोर ने 2012 के गुजरात चुनाव में नरेंद्र मोदी को फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाने के लिए रणनीति तैयार की। इसमें वे कामयाब भी हुए और मोदी को फिर से गुजरात का ताज मिला। इस जीत के बाद प्रशांत और मोदी में मित्रता बढ़ गई।
2014 का चुनाव
फिर आया, 2014 का लोकसभा चुनाव। देशभर में यूपीए की सरकार के खिलाफ गुस्सा था। लोग बढ़ती महंगाई और भ्रष्टाचार की ख़बरों से आजिज आ चुके थे। मोदी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाकर चुनाव लड़ा गया। भाजपा को ऐतिहासिक जीत मिली। मोदी को जीत का सेहरा पहनाने में प्रशांत किशोर की भूमिका को काफी मान्यता मिली और वे सफल चुनावी रणनीतिकार के रूप में पहचाने जाने लगे।
2015 बिहार चुनाव
चुनावों में जीत दिलवाने की गारंटी के रूप में पहचान बना चुके प्रशांत किशोर ने अगला कदम बिहार की ओर बढ़ाया। बता दें कि प्रशांत के पिता बिहार से हैं और उनकी माता उत्तर प्रदेश से हैं। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को फिर से सत्तासीन करने की रणनीति तैयार की। हालांकि, अपेक्षित परिणाम मिला ये नहीं ये तो नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर ही जानें लेकिन सीएम की कुर्सी फिर से नीतीश को जरूर मिली। यहीं से प्रशांत का जदयू के साथ राजनैतिक सफर शुरू होता है और आज प्रशांत जदयू के उपाध्यक्ष तक पहुंचे हैं।
2017 का पंजाब विधानसभा चुनाव
बिहार में नीतीश को कुर्सी दिलाने में योगदान देने वाले प्रशांत किशोर से कांग्रेस नेता और पंजाब में सीएम बनने के सपने संजो रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी उनसे संपर्क किया। चुनावों में प्रशांत किशोर ने कैप्टन को कई सारी सलाह दी और चुनावी मैदान फतेह करने के नुस्खे भी बताए। नतीजा हर बार की तरह इस बार भी जीत ही निकला और प्रशांत के नाम एक और जीत का रिकॉर्ड दर्ज हो गया।
पंजाब के बाद पहुंचे यूपी और मिली हार
चुनावों में प्रशांत के रणनीतिक योगदान के बाद जीत का फल उगते देख लगातार हार से परेशान और यूपी में जीत का स्वाद चखने को बेताब कांग्रेस ने भी उनके जरिए सत्ता तक पहुंचने की सोची। लेकिन इस बार दोनों के लिए बुरी ख़बर आई। न कांग्रेस को जीत मिली और प्रशांत के जीत के ट्रैक रिकॉर्ड में हार दर्ज हो गई।
2018 जदयू में एंट्री
इस हार के साथ ही प्रशांत किशोर ने शायद राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता का सफर तय करने की सोची। वे इस साल जदयू में शामिल हो गए और चर्चा है कि जल्द ही चुनाव भी लड़ेंगे।