लोकसभा और राज्यसभा दोनों की बढ़नी चाहिए सदस्यों की संख्या : प्रणब मुखर्जी
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मौजूदा वोटर संख्या के लिहाज से लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या एक हजार तक करने का सुझाव दिया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है, कि संसद के दोनों सदनों में सदस्यों की संख्या में बढ़ोत्तरी की जाए। उन्होंने मौजूदा वोटर संख्या के लिहाज से लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या एक हजार तक करने का सुझाव दिया। साथ ही इसी अनुपात से राज्यसभा के सदस्यों की भी संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने इस दौरान संसद में सदस्यों के हंगामे को लेकर भी कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि वह यह कतई न भूले कि उन्हें लाखों लोगों ने बड़ी उम्मीद से कुछ करने के लिए भेजा है। उनकी उम्मीदों पर खरे उतरना चाहिए।
पूर्व राष्ट्रपति सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की याद में इंडिया फाउंडेशन की ओर से आयोजित दूसरे मेमोरियल लेक्चर में बोल रहे थे। भारत में संसदीय लोकतंत्र की सफलता और चुनौतियों के विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि संसद की सदस्य संख्या बढ़ाने में इंफ्रास्ट्रक्चर की भी फिलहाल कोई कमी आड़े नहीं आने वाली है। उन्होंने इस दौरान सेंट्रल हाल को लोकसभा, लोकसभा को राज्यसभा और राज्यसभा को लॉबी या सेंट्रल हाल में तब्दील करने का सुझाव भी दिया। मुखर्जी ने कहा कि इसकी जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि दुनिया के तमाम ऐसे देश है, जिनकी जनसंख्या भारत के काफी कम है, बावजूद इसके वहां की संसद में सदस्यों की संख्या भारत से कहीं ज्यादा है। उन्होंने इस दौरान इस कई देशों के संसद के सदस्यों की संख्या का भी जिक्र किया और बताया कि ब्रिटिश संसद में 650 सदस्य है, कनाडा की संसद में कुल 443 सदस्य है और अमेरिका की संसद कांग्रेस में कुल 535 सदस्य है।
ऐसे में हम क्यों पीछे है। उन्होंने सवाल भी खड़ा किया और कहा कि 2109 के चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक देश में मौजूदा समय में कुल 90 करोड़ वोटर है। ऐसे में लोकसभा की 543 सीटों के लिहाज से देखे तो, एक सीट पर औसतन 16 से 20 लाख वोटर आते है। ऐसे में एक सदस्य के लिए इतनी बड़ी संख्या में लोगों से जुड़ाव करना मुश्किल होता है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति ने यह सुझाव उस समय दिया है, जब सरकार मौजूदा संसद में जगह की कमी का हवाला देते हुए सुविधायुक्त नई संसद बनाने की तैयारी में जुटा हुआ है।
पूर्व राष्ट्रपति ने इसके साथ ही बहुमत की सरकारों को सबको साथ लेकर चलने की सलाह दी। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने की जमकर तारीफ की और कहा कि वह भारत के एक महान पुत्र थे। जिन्होंने संसदीय लोकतंत्र की गरिमा को मजबूत बनाने के लिए बेहतर उदाहरण पेश किया था। उन्हें साहसिक फैसले लेने के लिए सदैव याद किया जाएगा। कार्यक्रम को पूर्व मंत्री सुरेश प्रभु ने भी संबोधित किया। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का परिवार भी मौजूद रहा।