असम: 40 लाख लोगों की नागरिकता पर लटकी तलवार, संसद में छिड़ा संग्राम
एनआरसी का पहला प्रारूप 31 दिसंबर से एक जनवरी के बीच जारी किया गया था। इसमें राज्य में रहने वाले 3.29 करोड़ लोगों में से 1.9 करोड़ को शामिल किया गया था।
नई दिल्ली, एएनआइ। असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का दूसरा और अंतिम ड्राफ्ट आज पेश कर दिया गया। इससे 40 लाख लोगों के सिर पर नागरिकता की तलवार लटक गई है। अब एनआरसी के मुद्दे पर सड़क से संसद तक राजनीति गरमा गई है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि यह केवल ड्राफ्ट है, फाइनल लिस्ट नहीं है। यह पूरा ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में तैयार किया गया है। ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 'सरनेम' देखकर लोगों के नाम ड्राफ्ट लिस्ट में से हटाए गए हैं।
ममता बनर्जी बोलीं- लोगों के 'सरनेम' देखकर हटाए नाम
एनआरसी के ड्राफ्ट पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनके पास आधार कार्ड और पासपोर्ट है। लेकिन इसके बावजूद उनका नाम ड्राफ्ट में शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि 'सरनेम' देखकर लोगों के नाम ड्राफ्ट लिस्ट में से हटाए गए हैं। क्या क्या सरकार बलपूर्वक कुछ लोगों को देश से बाहर निकालने की कोशिश कर रही है? लोगों को योजनाबद्ध तरीके से बाहर करने की साजिश की जा रही है। हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि लोगों को उनके देश में ही शरणार्थी बना दिया गया है। ममता बनर्जी ने चेतावनी देते हुए कहा कि यह बांग्ला बोलने वाले लोगों और बिहारियों को राज्य से बाहर फेंकने की योजना है। नतीजे हमारे राज्य में भी महसूस किए जाएंगे। एनआरसी के ड्राफ्ट में जिन 40 लाख लोगों के नाम नहीं हैं, वे कहां जाएंगे? क्या केंद्र सरकार के पास इन लाखों लोगों के लिए कोई पुनर्वास कार्यक्रम है? अंत में इस कदम से पश्चिम बंगाल की सरकार को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ये सब भाजपा वोट बैंक की राजनीति कर रही है। हम गृह मंत्री राजनाथ सिंह से एक संशोधन लाने का अनुरोध करते हैं। ममता बनर्जी ने कहा कि वह असम जाने की कोशिश करेंगी। तृणमूल कांग्रेस के सांसद असम जा चुके हैं।
टीएमसी की मांग पीएम मोदी सदन में दें सफाई
टीएमसी सासंद एसएस रॉय ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने जानबूझकर 40 लाख से ज्यादा धार्मिक एंव भाषीय अल्पसंख्यक लोगों को एनआरसी से बाहर रखा है, जिससे असम और आसपास के इलाकों की डेमोग्राफिक्स पर असर पड़ सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदन में आकर इस पर सफाई देनी चाहिए।
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन पर असम कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा कि यह हैरान करने वाली बात है कि 40 लाख लोगों का नाम लिस्ट में न शामिल नहीं है। यह बेहद बड़ा और आश्चर्यजनक आकंड़ा है। इस रिपोर्ट में काफी कमियां हैं, जिन्हें दूर किया जाना चाहिए। हम इस मुद्दे को सरकार के सामने और संसद में रखेंगे। इसके पीछे भारतीय जनता पार्टी की राजनीति है।
भाजपा की सफाई
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नेशनल जिस्टर ऑफ सिटिजन पर कहा कि अगर किसी का नाम फाइनल ड्राफ्ट में नहीं भी है तो वह तुरंत ट्रिब्यूनल से संपर्क कर सकता है। किसी के खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी, इसलिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। दरअसल, कुछ लोग बिना किसी मतलब के इस मुद्दे पर भय का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। मेरी लोगों से अपील है कि कोई गलत जानकारी नहीं फैलानी चाहिए। इतना ध्यान रखना चाहिए कि यह केवल ड्राफ्ट है, फाइनल लिस्ट नहीं है। मैं विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि इसमें केंद्र सरकार का हाथ कहां है? यह पूरा ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में तैयार किया गया है। ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।'
बता दें कि सोमवार को असम में एनआरसी का दूसरा और अंतिम प्रारूप कड़ी सुरक्षा में जारी कर दिया गया। आवेदक एनआरसी केंद्रों पर जाकर अपना नाम, पता और फोटो देख सकते हैं। ड्राफ्ट जारी करते हुए रजिस्ट्रार जनरल शैलेश बोले कि आज असम के लोगों के लिए महत्वपूर्ण दिन है। उन्होंने बताया कि 3, 29,91,380 लोगों ने किया था, आवेदन जिनमें से 2,89,38, 677 को नागरिकता के लिए योग्य पाया गया है। बता दें कि इसमें उन सभी भारतीय नागरिकों को शामिल किया गया है, जो राज्य में 25 मार्च, 1971 के पहले से निवास करते थे।
राज्य एनआरसी संयोजक ने बताया कि इस लिस्ट के आधार पर अभी किसी को डिपोर्ट नहीं किया जाएगा। 1.5 करोड़ लोग जिन्हें योग्य नहीं पाया गया उनमें से 48,000 महिलाएं है। हालांकि उन्होंने कहा कि यह केवल ड्राफ्ट है, फाइनल लिस्ट नहीं है। जिन लोगों को शामिल नहीं किया गया वे आपत्ति और दावा दर्ज कर सकते हैं। 40 लाख लोगों को इस ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल नहीं किया गया। वह शख्स जिसका नाम पहले ड्राफ्ट में था, लेकिन इस ड्राफ्ट में नहीं है, उसे व्यक्तिगत तौर पर आपत्ति दर्ज करने और दावा करने का मौका दिया जाएगा।
गौरतलब है कि एनआरसी का पहला प्रारूप 31 दिसंबर से एक जनवरी के बीच जारी किया गया था। इसमें राज्य में रहने वाले 3.29 करोड़ लोगों में से 1.9 करोड़ को शामिल किया गया था। उधर, एनआरसी के प्रकाशन को देखते हुए राज्य में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक केंद्र ने एहतियात के तौर पर असम और आसपास के राज्यों में शांति बनाए रखने के लिए अर्धसैनिक बलों की 220 कंपनी भेजी हैं।