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लखीमपुर कांड पर सियासी संग्राम थमने के आसार नहीं, विपक्षी दल कल न‍िकालेंगे विरोध मार्च

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए विपक्ष और सत्ता पक्ष लखीमपुर खीरी मामले में अपनी सियासत की डोर ढीली करता नजर नहीं आ रहा। मंत्री अजय मिश्र टेनी के इस्तीफे की मांग पर संसद में जारी सियासी संग्राम के शीत सत्र में थमने के आसार नजर नहीं आ रहे।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 20 Dec 2021 08:30 PM (IST)Updated: Mon, 20 Dec 2021 08:30 PM (IST)
लखीमपुर कांड पर सियासी संग्राम थमने के आसार नहीं, विपक्षी दल कल न‍िकालेंगे विरोध मार्च
सियासी संग्राम के शीत सत्र में थमने के आसार नजर नहीं आ रहे

 नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए विपक्ष और सत्ता पक्ष लखीमपुर खीरी मामले में अपनी सियासत की डोर ढीली करता नजर नहीं आ रहा। गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के इस्तीफे की मांग पर संसद में जारी सियासी संग्राम के शीत सत्र में थमने के आसार नजर नहीं आ रहे। विपक्षी दलों ने सोमवार को भी उत्तर प्रदेश की एसआइटी की जांच रिपोर्ट के मद्देनजर गृह राज्यमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए दोनों सदनों में भारी हंगामा किया और कार्यवाही कई बार बाधित कराई।

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संसद भवन से विजय चौक तक विरोध मार्च निकालने की तैयारी

विपक्षी दलों ने अब लखीमपुर कांड को लेकर सड़क पर उतर कर भी सरकार पर दबाव डालने की रणनीति अपनाई है। इस क्रम में मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में अजय मिश्र के इस्तीफे का मुद्दा उठाने के बाद तमाम विपक्षी दलों के लोकसभा और राज्यसभा सदस्य संसद भवन से विजय चौक तक लखीमपुर खीरी कांड को लेकर विरोध मार्च निकालेंगे। विपक्षी दलों को इस बात के साफ संकेत मिल चुके हैं कि भाजपा गृह राज्यमंत्री के इस्तीफे के पक्ष में नहीं है। इसीलिए विपक्ष ने जवाबी दांव के तहत यह रणनीति अपनाई है।

विरोध मार्च में बड़े नेताओं के शामिल होने की उम्‍मीद

संसद के दोनों सदनों में सोमवार को लखीमपुर कांड का मुद्दा गरमाने से पहले ही राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ हुई विपक्षी नेताओं की बैठक में विरोध मार्च निकालने का फैसला हुआ। इस प्रस्तावित विरोध मार्च में विपक्ष के कुछ बड़े नेताओं के भी शामिल होने की उम्मीद है। इसके बाद विपक्षी पार्टियों के कुछ सदस्यों ने लोकसभा और राज्यसभा में लखीमपुर कांड को लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस देकर चर्चा कराने की मांग की और सदन में हंगामा किया। इसके चलते दोनों सदन कई बार स्थगित किए गए और हंगामे के दौरान ही सरकार ने दोनों सदनों में कुछ अहम विधायी कार्य भी कराए।


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