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कांग्रेस के पास था कानून बदलने का अवसर, NRC को लेकर सोनिया की चुप्‍पी पर PK का हमला

राजनीतिक रणनीतिकार और जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने एनआरसी के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर हमला बोलते हुए पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाया है।

By TaniskEdited By: Published: Mon, 30 Dec 2019 09:50 AM (IST)Updated: Mon, 30 Dec 2019 10:27 AM (IST)
कांग्रेस के पास था कानून बदलने का अवसर, NRC को लेकर सोनिया की चुप्‍पी पर PK का हमला
कांग्रेस के पास था कानून बदलने का अवसर, NRC को लेकर सोनिया की चुप्‍पी पर PK का हमला

नई दिल्ली, एएनआइ।  राजनीतिक रणनीतिकार और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाया है।प्रशांत किशोर ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए यह भी कहा कि सरकार में रहते हुए पार्टी ने इस कानून में बदलाव क्यों नहीं किया, जब उसके पास अवसर था। 

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समाचार एजेंसी एएनआइ को दिए एक इंटरव्यू में, प्रशांत किशोर ने कहा, 'कांग्रेस अध्यक्ष के एक बयान से एनआरसी मुद्दे पर कांग्रेस का स्टेंड साफ होगा। धरने और प्रदर्शनों में भाग लेना ठीक है, लेकिन इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से एक भी आधिकारिक बयान न आना समझ से परे है।'

क्या कहा प्रशांत किशोर ने

किशोर का मानना है कि कांग्रेस अध्यक्ष या कांग्रेस कार्य समिति (CWC) को कांग्रेस शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों को यह घोषित करने के लिए कहना चाहिए कि वे अपने राज्यों में एनआरसी की अनुमति नहीं देंगे।किशोर ने कहा, 'कांग्रेस समेत 10 से अधिक मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि वे अपने राज्यों में एनआरसी की अनुमति नहीं देंगे। अन्य क्षेत्रीय दलों जैसे नीतीश कुमार, नवीन पटनायक, ममता बनर्जी या जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व में, मुख्यमंत्री पार्टियों के प्रमुख के रूप में काम कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस के मामले में ऐसा नहीं है। मुख्यमंत्री अंतिम निर्णय नहीं ले सकते। CWC अंतिम निर्णय लेती है।'

प्रशांत किशोर का कांग्रेस से सवाल

किशोर ने आगे कहा कि मेरा सवाल और चिंता का विषय यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष आधिकारिक रूप से यह क्यों नहीं कह रही हैं कि कांग्रेस शासित राज्यों में एनआरसी की अनुमति नहीं होगी? किशोर ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि सरकार में रहते हुए उसने इस कानून में संशोधन क्यों नहीं किया। सीएए को 2003 में बनाया गया था। 2004 से 2014 तक, कांग्रेस सरकार सत्ता में थी। यदि अधिनियम इतना असंवैधानिक था, जो एक तथ्य है, तो कांग्रेस को इसमें संशोधन करने का अवसर था। 

एनपीआर और एनआरसी के बीच संबंध साबित करने की जरूरत नहीं

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और एनआरसी के बीच कोई संबंध नहीं है गृह मंत्री अमित शाह के स्पष्टीकरण पर भी प्रशांत किशोर ने असहमति जताई। किसी को भी एनपीआर और एनआरसी के बीच संबंध साबित करने की जरूरत नहीं है। दस्तावेज़ इसे साबित करते। दस्तावेजों के अनुसार एनपीआर, एनआरसी का पहला कदम है। यह एक व्यक्ति का मामला नहीं है। यही बात राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा था। एनपीआर और एनआरसी की यह पूरी बहस 2003 के नागरिकता संशोधन विधेयक से जुड़ी है। इस दौरान, पहली बार यह परिभाषित किया गया था कि एनपीआर के बाद यदि सरकार चाहे, तो वे एनआरसी कर सकते हैं।

भाजपा नेताओं के भाषणों का हवाला दिया

प्रशांत किशोर ने इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं को रेखांकित करने के लिए प्रधानमंत्री सहित विभिन्न भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए भाषणों का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से कई प्लेटफार्मों पर यहां तक की खुद प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल में कुछ चुनावी रैलियों में एनआरसी के बारे में बात की।

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