कांग्रेस से बागी हुए मप्र के 'माननीयों" का सियासी कॅरियर दांव पर, भाजपाई राह में बिछा रहे कांटे
पार्टी ने विधायकों से जो कमिटमेंट किया है उसे वह पूरा करेगी। भाजपा में तो सभी कार्यकर्ता हैं और टिकट को लेकर कहीं विरोध नहीं होगा।
आनन्द राय. भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले छह पूर्व मंत्रियों समेत 22 विधायकों के चलते कमल नाथ की सरकार तो पलट गई, लेकिन अब खुद इनके सियासी भविष्य पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति वफादारी दिखाने वाले इन माननीयों की राह में कांग्रेसियों के अलावा पहले के प्रतिद्वंद्वी रहे भाजपाई भी कांटे बिछाने में सक्रिय हो गए हैं। इससे इनका सियासी कॅरियर भी दांव पर लग गया है। श्मिल
कमल नाथ सरकार गिराने के पुरस्कार स्वरूप सिंधिया को मंत्री बनाया जा सकता है
भाजपा ने कमल नाथ की सरकार गिराने के पुरस्कार स्वरूप ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाकर यह संकेत दे दिया है कि भविष्य में उन्हें मोदी सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है, लेकिन नफा-नुकसान की कसौटी पर अब उनके समर्थक ही होंगे। सिंधिया को भी इसका अहसास है। इसीलिए बेंगलुरु में लंबे प्रवास के बाद अपने समर्थक पूर्व विधायकों को भोपाल लाने से पहले उन्होंने दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के हाथों भगवा पट्टा पहनाकर भाजपा में भी शामिल करा दिया।
उपचुनाव में दुश्मन के दुश्मन से दोस्ती वाला फार्मूला लागू होने के आसार
निकट भविष्य में 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में दुश्मन के दुश्मन से दोस्ती वाला फार्मूला लागू होने के आसार दिखने लगे हैं। पिछले चुनाव में इनसे हारे हुए भाजपा के उम्मीदवार विरोधियों के साथ मिलकर नया गुल खिला सकते हैं। बानगी के तौर पर ग्वालियर में पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया को कमल नाथ सरकार में मंत्री रहे प्रद्युम्न सिंह तोमर ने विधानसथा चुनाव में हरा दिया था। राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरा रहे पवैया को सिंधिया का सबसे बड़ा विरोधी माना जाता है। अपने भविष्य के लिए वह कोई खेल कर सकते हैं।
पवैया के अलावा कई और दिग्गज बनेंगे मुसीबत
भविष्य में होने वाले उपचुनाव में टिकट हासिल करने से लेकर जीतने तक की चुनौती रहेगी। ऐसे में सिर्फ पवैया ही नहीं, बल्कि भाजपा के कई दिग्गज अपने-अपने हित में समीकरण साधेंगे। मुरैना सीट पर कांग्रेस के टिकट पर रघुराज सिंह कंषाना ने भाजपा सरकार के पूर्व मंत्री और सेवानिवृत्त आईपीएस अफसर रुस्तम सिंह को चुनाव में हरा दिया था। इसी तरह हाटपीपल्या सीट पर भाजपा के दीपक जोशी को कांग्रेस के मनोज चौधरी और सुरखी सीट पर भाजपा के ही सुधीर यादव को गोविंद सिंह राजपूत ने चुनाव हराया था। दीपक जोशी पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कैलाश जोशी के पुत्र हैं, जबकि सुधीर यादव के पिता लक्ष्मीनारायण यादव सागर के सांसद रहे हैं।
क्या भाजपा बुनियादी कार्यकर्ताओं को किनारे लगाएगी
पाटीदार समाज के बड़े नेता राधेश्याम को सुवासरा में हरदीप सिंह डंग और आदिवासी समाज के रामलाल रौतेल को पांच बार विधायक रहे बिसाहूलाल सिंह ने हरा दिया था। ऐसी ही स्थिति करीब-करीब सभी क्षेत्रों में है। भाजपा विधानसभा चुनाव हारने वाले अपने इन बुनियादी कार्यकर्ताओं को कितना किनारे लगाएगी, यह भी एक बड़ा सवाल है।
मंत्री पद गंवाने वाले बागियों की शपथ पर कयास
कमल नाथ सरकार में मंत्री रह चुके सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत, महेंद्र सिंह सिसौदिया, प्रभुराम चौधरी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, तुलसीराम सिलावट और इमरती देवी के नई सरकार में शपथ को लेकर तरह-तरह के कयास लग रहे हैं। ये लोग अब सदन के सदस्य नहीं हैं। ऐसे में शपथ दिलाकर उन्हें उपचुनाव में भी उतारा जा सकता है पर अंदरखाने विरोध से बचने के लिए भाजपा कोई दूसरा कदम भी उठा सकती है।
भाजपा पूरा करेगी कमिटमेंट : विजयवर्गीय
मप्र भाजपा के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय का कहना है कि कहीं कोई समस्या नहीं है। पार्टी ने विधायकों से जो कमिटमेंट किया है, उसे वह पूरा करेगी। भाजपा में तो सभी कार्यकर्ता हैं और टिकट को लेकर कहीं विरोध नहीं होगा।