पीएम नरेंद्र मोदी भी 1999 में पहुंचे थे करगिल, साझा की उस समय की यादगार तस्वीरें
पीएम मोदी ने भी करगिल विजय दिवस पर शहीदों को याद किया और 1999 में करगिल युद्ध के दौरान की अपनी कश्मीर दौरे की तस्वीरें साझा की हैं।
नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। कारगिल की जीत को आज पूरे 20 साल हो गए हैं। देशवासियों के लिए आज यानि 26 जुलाई की तारीख का खास महत्व है। कारगिल में इसी दिन भारत को निर्णायक जीत हासिल हुई थी, जब हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों से पाकिस्तानी घुसपैठियों को पूरी तरह खदेड़ दिया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में देश कारगिल में शहीद हुए सैनिकों का पुण्य स्मरण करने जा रहा है। इस अवसर पर देश उन सभी सैनिकों को भी याद करेगा जिन्होंने आजादी के बाद से ही तिरंगे की आन-बान-शान के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। दरअसल, पीएम मोदी उन वीर सैनिकों के काफी करीब रहे हैं, जिन्होंने कारगिल की जंग में हिस्सा लिया था।
पीएम मोदी ने भी करगिल विजय दिवस पर शहीदों को याद किया और 1999 में करगिल युद्ध के दौरान की अपनी कश्मीर दौरे की तस्वीरें साझा की हैं। मोदी सरकार की इस बात के लिए सराहना की जानी चाहिए कि उसने देश को एक नेशनल वार मेमोरियल यानी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की सौगात दी है। यह काफी समय से लंबित था।
पीएम मोदी ने तस्वीरों को शेयर करते हुए कहा, 'साल 1999 में करगिल युद्ध के दौरान मुझे करगिल जाने और अपने देश के वीर सिपाहियों के साथ एकजुटता दिखाने का सुनहरा मौका मिला था। यह वो समय था, जब मैं जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में अपनी पार्टी के लिए काम कर रहा था। करगिल की यात्रा और सैनिकों के साथ बातचीत के अनुभव को मैं कभी भुला नहीं पाऊंगा।'
साथ ही पीएम मोदी ने ऑडियो जारी कर मां भारती के सभी वीर सपूतों को याद किया। उन्होंने कहा, 'करगिल के विजय दिवस पर शौर्य को सलामी 20 साल पहले करगिल में विजय का वो दिन उनकी याद में, जो जंग से लौटकर घर ना आए, करगिल में भारतीय फतह के गर्व का वो लम्हा जय हिंद, जय भारत, जय सेना, जय जय सैनिक...!
पीएम ने ट्वीट में कहा, 'कारगिल विजय दिवस पर मां भारती के सभी वीर सपूतों का मैं हृदय से वंदन करता हूं। यह दिवस हमें अपने सैनिकों के साहस, शौर्य और समर्पण की याद दिलाता है। इस अवसर पर उन पराक्रमी योद्धाओं को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। जय हिंद!'
प्रधानमंत्री मोदी को इस बात के लिए पूरा श्रेय दिया जाना चाहिए कि उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में ही युद्ध स्मारक का निर्माण सुनिश्चित किया। इसी वर्ष 25 फरवरी को इसका औपचारिक उद्घाटन हुआ था। यहां मोदी इसलिए भी सराहना के पात्र हैं, क्योंकि स्वतंत्र भारत में ऐसे युद्ध स्मारक की मांग तबसे हो रही थी जब सत्ता के शीर्ष पर नेहरू विराजमान थे।