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भारत ने खरीदे किलर HAROP ड्रोन, पाकिस्‍तान-चीन के सैन्‍य ठिकानों को कर सकता है नेस्तनाबूद

इजरायल से खरीदे जा रहे हारोप ड्रोन अत्‍या‍धुनिक तकनीक से युक्‍त हैं। ये किलर ड्रोन दुश्मन के हाई-वैल्यू मिलिट्री टारगेट को पूरी तरह से नेस्तनाबूद करने की क्षमता रखते हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 11:26 AM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 11:26 AM (IST)
भारत ने खरीदे किलर HAROP ड्रोन, पाकिस्‍तान-चीन के सैन्‍य ठिकानों को कर सकता है नेस्तनाबूद

नई दिल्‍ली, एएनआइ। भारत लगातार अपनी सेनाओं को मजबूत करने की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है। चीन की बढ़ती सैन्‍य शक्ति और पाकिस्‍तान की हरकतों को देखते हुए ये जरूरी भी हो गया है। जल्‍द ही भारतीय वायुसेना में अत्‍याधुनिक राफेल लड़ाकू विमान शामिल होने जा रहा है। इधर एयरफोर्स की मानवरहित युद्ध क्षमता को और मजबूत करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने 54 इजरायली HAROP ड्रोन की खरीद को मंजूरी दे दी है।

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इजरायल से खरीदे जा रहे हारोप ड्रोन अत्‍या‍धुनिक तकनीक से युक्‍त हैं। ये किलर ड्रोन दुश्मन के हाई-वैल्यू मिलिट्री टारगेट को पूरी तरह से नेस्तनाबूद करने की क्षमता रखते हैं। सूत्रों के मुताबिक, पिछले हफ्ते एक उच्च स्तरीय बैठक में रक्षा मंत्रालय ने इन 54 हमलावर ड्रोनों की खरीद को मंजूरी दे दी थी। खबरों के मुताबिक, ये ड्रोन चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर तैनात किए जाएंगे।

ये ड्रोन इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर से लैस होते हैं, जो विस्फोट करने से पहले हाई वैल्यू वाले सैन्य ठिकानों जैसे निगरानी के ठिकाने और रडार स्टेशनों पर निगरानी भी कर सकते हैं। इजराइल के हारोप ड्रोन दुश्मन ठिकानों पर क्रैश होकर उन्हें तबाह कर देते हैं। इनमें इलेक्ट्रो ऑप्टिकल सेंसर भी लगा होता है, जिससे ठिकाने के बारे में भी पता लगाया जा सकता है। मौजूदा समय में वायुसेना के पास ऐसे 110 ड्रोन हैं, जिनका नाम पी-4 रखा गया है।

राफेल की विशेषता

टू फ्रंट वार के खतरे से निपटने और लगातार वायुसेना के जहाजों के बेड़े में आती गिरावट को संभालने में राफेल देश की सुरक्षा के लिहाज से बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकता है। इसी को देखते हुए सरकार ने राफेल विमान खरीद का मन बनाया था। दुनिया के लगभग सभी विकसित देशों के पास उन्नत किस्म के लड़ाकू विमान है। खासतौर से पड़ोसी मुल्कों से भारत को मिल रही चुनौतियों को देखते हुए भारत को पांचवी पीढ़ी के विमानों की सख्त जरूरत है। भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भी चीन से उच्च क्षेणी के पीढ़ी के विमान जेएफ-17 और अमेरिका से एफ-16 खरीद लिए हैं, ऐसे में भारत अब पुरानी तकनीकी के विमानों पर ज्यादा निर्भर नहीं रह सकता है। चिंता की बात यह है कि भारत ने 1996 में सुखोई-30 के तौर पर आखिरी बार कोई लड़ाकू विमान खरीदा था। यही कारण है कि भारत को राफेल जैसे अत्याधुनिक फाइटर विमान की सख्त जरूरत है। इतना ही नहीं इस विमान में ऑक्सीजन जनरेशन सिस्टम लगा है और लिक्विड ऑक्सीजन भरने की जरूरत नहीं पड़ती है। यह विमान इलेक्ट्रानिक स्कैनिंग रडार से थ्रीडी मैपिंग कर रियल टाइम में दुश्मन की पोजीशन खोज लेता है। इसके अलावा यह हर मौसम में लंबी दूरी के खतरे को भी समय रहते भांप सकता है और नजदीकी लड़ाई के दौरान एक साथ कई टारगेट पर नजर रख सकता है। यह जमीनी सैन्य ठिकाने के अलावा विमानवाहक पोत से भी उड़ान भरने के सक्षम है। राफेल 3 हजार 800 किलोमीटर तक उड़ान भरने में भी सक्षम है।


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