उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार में मझदार में फंस सकती है पीएम मोदी की बुलेट ट्रेन
अगर बुलेट ट्रेन से अहमदाबाद से मुंबई जाने के लिए आपको 3500 रुपये (संभावित) का टिकट लेना पड़ेगा तो फिर कोई विमान से क्यों नहीं जाएगा।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। महाराष्ट्र में शिवसेना अपने नए साथियों राकांपा और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना रही है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बन रही सरकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन और मुंबई मेट्रो के फेज तीन पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। शिवसेना इन दोनों ही प्रोजेक्ट की विरोधी रही है, हालांकि, पार्टी के एक विधायक का कहना है कि उनका विरोध मेट्रो से नहीं, आरे पार्क में हरे पेड़ों को काटे जाने को लेकर था। शिवसेना सरकार से रियल एस्टेट क्षेत्र को बहुत उम्मीद है। उसके लगता है कि इस सरकार में इस क्षेत्र को लाभ होगा।
महाविकास अघाड़ी ने जताई किसानों के लिए काम करने की प्रतिबद्धता
सरकार बनाने के लिए बने महाविकास अघाड़ी ने किसानों के लिए काम करने की प्रतिबद्धता जताई है। शिवसेना के प्रवक्ता मनीषा कायांदे ने कहा कि पार्टी ने पहले भी कहा था कि अगर बुलेट ट्रेन से ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं तो उस पर आगे बढ़ने की जरूरत क्या है। सेना ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को फिजूलखर्ची बताया है।
शिवसेना की प्राथमिकता किसानों के कल्याण की है
पूर्व की भाजपा-शिवसेना सरकार में मंत्री रहे दीपक केसरकर ने भी बुलेट ट्रेन की जरूरत पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी की प्राथमिकता किसानों का कल्याण करना है। उन्होंने कहा कि अगर बुलेट ट्रेन से अहमदाबाद से मुंबई जाने के लिए आपको 3,500 रुपये (संभावित) का टिकट लेना पड़ेगा, तो फिर कोई विमान से क्यों नहीं जाएगा।
शिवसेना ने कभी नहीं किया मेट्रो का विरोध
शिवसेना के विधायक प्रताप सरनाईक ने कहा कि उनकी पार्टी ने कभी भी मेट्रो का विरोध नहीं किया। उन लोगों ने हरे पेड़ों को बचाने के लिए आरे पार्क में मेट्रो के कार शेड के निर्माण का विरोध किया था, लेकिन अब ज्यादातर पेड़ काट दिए गए हैं और वहां कुछ बचा नहीं है।
ठाकरे सरकार आरे पार्क को वन क्षेत्र के रूप में अधिसूचित कर सकती है
एक कार्यकर्ता ने कहा कि शिवसेना-राकांपा और कांग्रेस तीनों ही दल आरे पार्क में लोगों के विरोध के समर्थन में थे। अब जब इनकी सरकार बन रही है तो उम्मीद है कि वो आरे पार्क को वन क्षेत्र के रूप में अधिसूचित करेगी और इसे संजय गांधी नेशनल पार्क के इको-सेंसिटिव क्षेत्र के रूप में घोषित करेगी।