मोदी और शाह की रैलियों से छत्तीसगढ़ में थमेगी भाजपा की गुटबाजी, अंतर्कलह!
प्रधानमंत्री मोदी 8 फरवरी को छत्तीसगढ़ आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव के कैंपेन का शंखनाद करेंगे।एक सप्ताह बाद 15 फरवरी को राष्ट्रीय अध्यक्ष शाह छत्तीसगढ़ आएंगे।
रायपुर, राज्य ब्यूरो। 'पार्टी विथ डिफरेंस' कही जाने वाली भाजपा का छत्तीसगढ़ में हार के बाद चाल और चरित्र बदल गया है। पार्टी की गुटबाजी, अंतर्कलह और आपसी खींचतान अंदरूनी बैठकों से निकलकर सार्वजनिक होने लगी है।
सोशल मीडिया पर भी भाजपाई जमकर एक-दूसरे पर भड़ास निकाल रहे हैं। सबसे अनुशासित पार्टी कही जाने वाली भाजपा में मौजूदा हालात यह है कि बैठकों में अभद्र भाषा और हाथापाई आम बात होने लगी है। वरिष्ठ नेता ही नहीं आम कार्यकर्ता भी पार्टी संगठन और तत्कालीन सत्ता प्रमुखों से खफा हैं और सार्वजनिक रूप से उन्हें बदलने की मांग कर रहे हैं। पार्टी संगठन में मचे घमासान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह इसी महीने छत्तीसगढ़ आ रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि इन शीर्ष राष्ट्रीय नेताओं के दौरे और रैली के बाद प्रदेश भाजपा में चल रहा घमासान शांत हो जाएगा।
पहले मोदी फिर सप्ताहभर बाद आएंगे शाह
प्रधानमंत्री मोदी 8 फरवरी को छत्तीसगढ़ आ रहे हैं। यहां रायगढ़म में उनकी सभा होगी। इस सभा से पीएम छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के कैंपेन का शंखनाद करेंगे। इसके ठीक एक सप्ताह बाद 15 फरवरी को राष्ट्रीय अध्यक्ष शाह छत्तीसगढ़ आएंगे। उनकी भी यहां रैली और सभा होगी। इस दौरान शाह पार्टी संगठन व पदाधिकारियों की बैठक भी ले सकते हैं।
यह है पार्टी विथ डिफरेंस का चाल चरित्र और चेहरा
पार्टी विथ डिफरेंस-
1. नेता प्रतिपक्ष को लेकर शक्ति प्रदर्शन
विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा में सबसे पहले नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर विवाद हुआ। पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक बृजमोहन अग्रवाल के नेतृत्व में एक धड़ा ननकीराम कंवर को यह पद देने की मांग की। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पहले स्वयं और फिर बाद में धरमलाल कौशिश को यह पद दिलाने के लिए जोर आजाइश करते रहे है। कुर्सी के लिए रायपुर से लेकर दिल्ली तक शक्ति प्रदर्शन का दौर चला।
2. प्रदेश अध्यक्ष को लेकर घमासान
पार्टी पदाधिकारी से लेकर कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहा है। दिन-ब- दिन यह मांग तेज होती जा रही है। इसको लेकर यहां से लेकर दिल्ली तक सियासत गर्म है। एक खेमा बृजमोहन अग्रवाल के लिए लॉबिंग कर रहा है तो दूसरा खेमा विष्णुदेव साय के लिए।
3. कार्यकर्ताओं पर फोड़ा हार का ठिकरा
इस बार चुनाव में भाजपा कार्यकर्ताओं ने सही ढंग से काम नहीं किया, जिस वजह से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। प्रदेश अध्यक्ष के साथ अब नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे धरमलाल कौशिक के इस बयान पर बवाल मचा हुआ है। वहीं पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने कार्यकर्ता थोड़े ढीले पड़ गए, कह कर आग में और घी डाल दिया। इससे कार्यकर्ता ही नहीं वरिष्ठ नेता भी इसको लेकर जमकर भड़ास निकाल रहे हैं।
4- निशाने पर तत्कालीन श्ाीर्ष नेतृत्व
तत्कालीन संगठन और सत्ता प्रमुख पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के निशाने पर है। पूर्व सांसद और पूर्व कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू ने कहा है कि किसानों से वादा खिलाफी चुनाव में हार की वजह है। सुपेबेड़ा मामले पर साहू ने कहा कि वहां की समस्या का स्थायी निदान करने की जरूरत थी, लेकिन सीएम वहां नहीं गए, मेरी सलाह है कि जो गलती पूर्व सरकार ने की वह कांग्रेस सरकार न करे।
5... और इस स्तर पर आ गई राजनीति
पार्टी में जिला स्तर पर हार की समीक्षा का दौर चल रहा है। लगभग हर जिले में बैठक के दौरान विवाद हो रहा है। शनिवार को रायपुर जिलाध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने बैठक बुलाई थी। इसमें रायपुर ग्रामीण सीट से प्रत्याशी रहे नंदकुमार साहू भी पहुंच गए। जिलाध्यक्ष ने साहू को बैठक से बाहर जाने के लिए कहा जिस पर दोनों नेताओं के बीच शुरू हुई कहासुनी हाथापाई तक पहुंच गई। अग्रवाल के समर्थकों ने साहू का हाथ पकड़कर उन्हें बाहर निकालने की कोशिश की। इससे दोनों नेताओं के समर्थकों के बीच भी धक्का-मुक्की शुरू हो गई।
6. क्लस्टर प्रभारी पर आपत्ति
कुछ दिन पहले एकात्म परिसर में हई एक बैठक में पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने हारे हुए नेताओं को क्लस्टर प्रभारी बनाए जाने पर आपत्ति की। इस पर डॉ. अनिल जैन ने इसे केंद्रीय नेतृत्व फैसला बता दिया। चंद्राकर ने कहा कि बिना किसी की राय लिए यह सब कैसे तय कर दिया गया। प्रदेश के नेताओं से चर्चा करनी चाहिए थी। इस पर डॉ. जैन उखड़ गए और बोले की आप अमित शाह से चर्चा कर लें। मामला बिगड़ता देख डॉ. जैन ने चंद्राकर को एकांत में चर्चा की सलाह दी। करीब तीन मिनट तक दोनों नेताओं में तीखीं नोकझोंक चलती रही।