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पीएम मोदी के साथ बैठक कश्मीरी नेताओं के लिए लोगों के बेहतर भविष्य के लिए काम करने का बड़ा अवसर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 24 जून को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक जम्मू-कश्मीर के नेताओं के लिए लोगों के बेहतर भविष्य के लिए काम करने का एक बड़ा अवसर है। इन नेताओं को आमंत्रित करके केंद्र सरकार ने वास्तव में उन्हें सशक्त बनाया है ।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 08:13 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 08:13 AM (IST)
पीएम मोदी के साथ कश्मीरी नेताओं की बैठक कल।

नई दिल्ली, एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 24 जून को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक जम्मू-कश्मीर के नेताओं के लिए लोगों के बेहतर भविष्य के लिए काम करने का एक बड़ा अवसर है। इन नेताओं को आमंत्रित करके केंद्र सरकार ने वास्तव में उन्हें सशक्त बनाया है और बताया है कि वह शांति, समृद्धि और राजनीतिक जुड़ाव वाला नया कश्मीर चाहती है। अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद राजनीतिक दलों के साथ यह पहली बैठक होगी। यह बैठक जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया को गति देने के लिए केंद्र की पहल का एक हिस्सा है।

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लोगों के बेहतर भविष्य के उद्देश्य से, यह प्रधानमंत्री से लेकर जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के नेताओं तक की सबसे बड़ी राजनीतिक पहुंच होगी। केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ सार्थक जुड़ाव के लिए कभी भी दरवाजे बंद नहीं किए हैं। इस कदम को सही दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है। इस बैठक से पहले जम्मू-कश्मीर में कई सकारात्मक कदम उठाए गए हैं। इनमें हाई-स्पीड इंटरनेट की बहाली, पंचायत राज संस्थानों को मजबूत करने और गुलाम कश्मीर (Pok) के शरणार्थियों और गुर्जरों-बकरवालों को अधिकार देने के साथ शुरू हुआ था। यह बैठक इन पहलों का स्वागत योग्य परिणाम है।

जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को और मजबूत करने की दिशा में एक कदम

अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद की पहल ने वास्तव में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों में सामाजिक-आर्थिक विकास किया है। 70 साल में पहली बार डीडीसी के चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर को और अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद करने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक नेताओं तक पहुंच जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को और मजबूत करने की दिशा में एक कदम है। यह नेताओं के लिए एक बड़ा अवसर है वरना वे जम्मू-कश्मीर में जनता के बीच अपनी पहचान खो देंगे।

अब गेंद नेताओं के पाले में

राजनीतिक नेतृत्व को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और 2016 में तथाकथित अलगाववादी हुर्रियत नेतृत्व द्वारा की गई गलतियों को नहीं दोहराना चाहिए। संविधान के दायरे में रहते हुए केंद्र हमेशा जम्मू-कश्मीर के बेहतर भविष्य के लिए कश्मीरी नेतृत्व तक पहुंचा है। प्रधानमंत्री द्वारा बैठक के लिए जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेतृत्व को दिए गए निमंत्रण को लेकर कश्मीरी युवाओं में सकारात्मकता है। अब गेंद नेताओं के पाले में है। जम्मू-कश्मीर का हर नागरिक चाहता है कि ये राजनीतिक दल इस बैठक में हिस्सा लें।


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