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पासवान का कांग्रेस, सपा व बसपा पर जोर का हमला, बताया दलित विरोधी

लोजपा अध्यक्ष ने कहा कि मायावती दलितों को सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 07:58 PM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 07:58 PM (IST)
पासवान का कांग्रेस, सपा व बसपा पर जोर का हमला, बताया दलित विरोधी
पासवान का कांग्रेस, सपा व बसपा पर जोर का हमला, बताया दलित विरोधी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संसद से एससी-एसटी उत्पीड़न संशोधन विधेयक पास होने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने कांग्रेस, सपा और बसपा पर तीखा हमला बोला है। लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने तीनों विपक्षी दलों को दलित विरोधी बताते हुए राजग सरकार ने उनके लिए उठाए गए कदमों की तारीफ की है। पासवान आरोप लगाया कि आजादी के बाद 55 वषरें तक देश की सत्ता पर काबिज रहने वाली कांग्रेस ने संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की न केवल उपेक्षा की, बल्कि उन्हें लोकसभा चुनाव में हराया भी।

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दलित उत्पीड़न कानून में संशोधन के लिए प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की

मोदी सरकार को दलित विरोधी बताने के कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों पर पलटवार करते हुए रामविलास पासवान ने कहा कि नेहरू-गांधी परिवार के तीन सदस्यों- मोती लाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी की संसद के केंद्रीय कक्ष में तस्वीरें लगी हैं, जबकि बाबा साहब की तस्वीर लंबे समय तक वहां नहीं लगने दिया गया। इतना ही नहीं, बाबा साहब को उनके कार्यकाल में न तो भारत रत्न से सम्मानित किया गया और न ही उनके जन्मदिवस पर राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा की गई।

पासवान ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा नहीं दिये जाने, एससी-एसटी को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पारित नहीं होने देने तथा बाबा साहब से जुड़े स्थलों पर स्मारक नहीं बनाये जाने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। पासवान कुल 18 सवालों की फेहरिस्त जारी करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से जवाब-तलब किया है।

मायावती पर दलितों को वोटबैंक के रूप में इस्तेमाल करने का लगाया आरोप

मोदी सरकार के दलित विरोधी बताने पर बसपा अध्यक्ष मायावती को भी लोजपा अध्यक्ष ने आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि मायावती दलितों को सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती है। यही कारण है कि 2007 में जब उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार थी तो उन्होंने एससी-एसटी अत्याचार निवारण कानून को कमजोर करने का आदेश दिया। जिसमें इस कानून से जुड़े मामलों को दर्ज करने से पहले वरिष्ठ अधिकारियों से उसकी पुष्टि की बात कही गयी थी। इसके साथ ही एससी-एसटी महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले में चिकित्सा जांच में अपराध की पुष्टि होने पर ही मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया था।

उन्होंने मायावती से एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय के बाद चुप्पी पर भी सवाल खड़े किये। इसी तरह एससी-एसटी के लिए प्रोन्नति में आरक्षण के विधेयक का विरोध करने के लिए समाजवादी पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है। पासवान ने कहा कि कांग्रेस, बसपा और सपा तीनों ही दलित विरोधी हैं और उनका कथित महागठबंधन भी दलित विरोधी है।

वहीं रामविलास पासवान ने एससी-एसटी अत्याचार निवारण संशोधन विधेयक को पास कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि इतने कम समय में उनके अनुसार इस विधेयक के इतनी जल्दी पास होने की उम्मीद नहीं थी। लेकिन सरकार की तत्परता से यह संभव हो सका।


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