नोटबंदी पर आरबीआइ अधिकारियों से फिर सवाल करेगी संसदीय समिति
आरबीआई के अधिकारी 12 नवंबर को संसद की स्थाई समिति की बैठक में हाजिर होंगे।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मोदी सरकार ने दो साल पहले नोटबंदी का फैसला किया था लेकिन नीति नियंताओं के लिए अब तक यह एक पहेली बना हुआ है।
यही वजह है कि नोटबंदी के कारण और परिणाम पर विचार कर रही एक संसदीय समिति ने एक बार फिर रिजर्व बैंक के अधिकारियों को इस बारे में सांसदों के सवालों का जवाब देने के लिए बुलाया है। आरबीआई के अधिकारी 12 नवंबर को संसद की स्थाई समिति की बैठक में हाजिर होंगे।
सूत्रों के मुताबिक संसद की वित्त मामलों संबंधी स्थाई समिति ने आरबीआई के अधिकारियों को यह बताने को कहा है कि मोदी सरकार ने 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद करने का जो कदम उठाया था उसका अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर क्या असर हुआ है। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब स्थाई समिति ने इस मुद्दे पर आरबीआई के अधिकारियों को तलब किया है इससे पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल भी समिति के समक्ष इस मुद्दे पर अपने विचार रख चुके हैं।
कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली इस समिति ने यह बैठक ऐसे समय बुलाई है जब 8 नवंबर को नोटबंदी के दो साल पूरे हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी। आरबीआइ के मुताबिक उस समय सिस्टम में 15,417.93 अरब रुपये के 500 रुपये और 1,000 रुपये के बैंक नोट थे।
आरबीआइ की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक इसमें से 99.3 प्रतिशत पुराने नोट यानी 15,310.73 अरब रुपये के नोट वापस बैंकों में जमा हो गए। यही वजह है कि विपक्ष सरकार के नोट बंदी के फैसले को लेकर के लगातार हमलावर रहा है और आरोप लगाता रहा है कि केंद्र के इस साहसिक कदम से देश को क्या लाभ हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी इस समिति में बतौर सदस्य शामिल हैं।
सूत्रों ने कहा कि समिति पोंजी स्कीम पर नियंत्रण के लिए लाए बनाए जा रहे कानून के लिए संसद के मानसून सत्र में पेश किए गए 'द बैनिंग ऑफ अन्रेग्युलेटेड डिपोजिट स्कीम बिल 2018' के प्रावधानों पर भी समिति आरबीआइ के अधिकारियों के साथ चर्चा करेगी।