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पेगासस मामला: गृह व IT मंत्रालय के अधिकारियों को शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने भेेजा समन

शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति बुधवार को इजरायल की सर्विलांस कंपनी एनएसओ ग्रुप के साफ्टवेयर पेगासस से जुड़े नागरिक डाटा सुरक्षा और सिक्योरिटी मामले पर बैठक करेगी। भारत सहित दुनियाभर में पेगासस स्पाइवेयर एक बार फिर चर्चा में हैं।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 08:24 AM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 09:58 AM (IST)
पेगासस मामला: गृह व IT मंत्रालय के अधिकारियों को  शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने भेेजा समन
पेगासस मामले पर संसदीय समिति की बैठक

नई दिल्ली, जेएनएन।  संसद में विपक्ष के हंगामे के बीच शशि थरूर की अध्यक्षता वाली आइटी मामलों की संसदीय समिति ने बुधवार को गृह व सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्रालय को तलब किया है। दरअसल आज कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता वाली आइटी मामलों की संसदीय समिति पेगासस से जुड़े 'नागरिक डाटा सुरक्षा और सिक्योरिटी' मामले पर बैठक करेगी। भारत सहित दुनियाभर में पेगासस स्पाइवेयर एक बार फिर चर्चा में हैं। इजरायल की सर्विलांस कंपनी एनएसओ ग्रुप के साफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर कई पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, नेताओं, मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों के फोन की जासूसी करने का दावा किया जा रहा है। 

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इस बैठक में अहम मसला नागरिकों के डाटा की सुरक्षा और उनकी गोपनीयता है। इस संसदीय समिति में अधिकतर सदस्य सत्तारूढ़ भाजपा के हैं। गौरतलब है कि विदेशी मीडिया समेत कुल 16 संस्थानों ने एक संयुक्त रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें भारत के 300 वैरिफाइड मोबाइल नंबरों की कथित रूप से जासूसी किए जाने का दावा किया गया था। इस जासूसी के लिए इजराइल के पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होने की बात सामने आई थी।

बता दें कि पेगासस मामले को लेकर शशि थरूर ने पहले ही ट्वीट कर कहा था, 'यह साबित हो गया है कि भारत में जांचे गए फोन में पेगासस का अटैक था, क्योंकि यह उत्पाद केवल सरकार को बेचा जाता है। सवाल उठता है कि कौन सी सरकार? यदि भारत सरकार कहती है कि उन्होंने ऐसा नहीं किया, किसी और सरकार ने किया, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता का विषय है।' उन्होंने आगे कहा, ‘यदि पता चलता है कि यह हमारी सरकार है और ऐसा करने के लिए अधिकृत है, तो भारत सरकार को स्पष्टीकरण देने की आवश्यकता है क्योंकि कानून केवल राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद के मुद्दे के लिए   कम्युनिकेशन के जरिेए रोक की अनुमति देता है। यह अवैध है।'


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