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केरल विधानसभा के प्रस्ताव ने पकड़ा तूल संसदीय समिति ने माना गंभीर

राज्यसभा की विशेषाधिकार हनन समिति ने शुक्रवार को अपनी अनौपचारिक बैठक में इस बारे में आयी शिकायत पर शुरूआती चर्चा भी की।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 09:23 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 09:23 PM (IST)
केरल विधानसभा के प्रस्ताव ने पकड़ा तूल संसदीय समिति ने माना गंभीर
केरल विधानसभा के प्रस्ताव ने पकड़ा तूल संसदीय समिति ने माना गंभीर

 संजय मिश्र नई दिल्ली। केरल विधानसभा से नागरिकता संशोधन कानून रद्द करने को लेकर पारित प्रस्ताव सियासी तूल पकड़ता दिख रहा है। संसद की विशेषाधिकार समिति ने विधानसभा से पारित इस प्रस्ताव को गंभीरता से लेते हुए इसकी वैधानिकता के सवाल पर गौर करने का फैसला किया है। राज्यसभा की विशेषाधिकार हनन समिति ने शुक्रवार को अपनी अनौपचारिक बैठक में इस बारे में आयी शिकायत पर शुरूआती चर्चा भी की। वहीं संसद के बजट सत्र में भाजपा की ओर से विधानसभा के इस हस्तक्षेप का मामला उठाने की भाजपा की तैयारी है।

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सूत्रों ने बताया कि विशेषाधिकार समिति में इस बात पर आम सहमति दिखी कि संसद के कामकाज और दायरे में राज्य की विधायी संस्था विधानसभा का अतिक्रमण एक गंभीर मसला है। इसीलिए संसद के कामकाज पर विधानसभा के विधायी प्रस्ताव जैसे मसलों पर चर्चा किया जाना जरूरी है ताकि एक दूसरे के विधायी अधिकारों में अतिक्रमण जैसे हालत न पनपे। भाजपा के राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिंहा राव ने केरल विधानसभा के सीएए को रद्द करने के संबंध में पारित प्रस्ताव को संसद के अधिकारों पर अतिक्रमण करार देते हुए इसकी शिकायत की है। उपसभापति हरिवंश की अध्यक्षता में शुक्रवार को राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति की हुई अनौपचारिक बैठक में राव की इस शिकायत पर चर्चा हुई। चूंकि सभापति वेंकैया नायडू मौजूद नहीं थे और अभी औपचारिक रूप से उन्होंने समिति को अनुमति नहीं दी है इसलिए यह बैठक औपचारिक नहीं रही। हालांकि विशेषाधिकार समिति के अधिकांश सदस्य बैठक में शामिल थे और उनका कहना था कि संसद के कामकाज में विधानसभा का हस्तक्षेप नहीं हो सकता। मालूम हो कि केरल विधानसभा ने इसी हफ्ते प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से सीएए कानून रद्द करने की मांग की है।

सूत्रों के अनुसार विशेषाधिकार समिति की आधिकारिक बैठक में केरल विधानसभा के प्रस्ताव को सुधारने के विकल्पों पर चर्चा होगी। जाहिर तौर पर इसमें विधानसभा से अपना प्रस्ताव वापस लेने से लेकर केरल सरकार को दिशा-निर्देश भेजे जाने जैसे विकल्पों पर मंत्रणा होगी। बैठक में मौजूद सूत्रों के अनुसार विधायी अतिक्रमण की इस तरह की परंपरा को हतोत्साहित नहीं किया गया तो फिर संसद ही नहीं एक राज्य की विधानसभा दूसरे सूबे की विधानसभा के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने लगेंगी। इसीलिए बैठक में इस बात पर भी सदस्यों में सहमति दिखी कि केरल के ताजा प्रकरण को देखते हुए बजट सत्र के दौरान इस मुद्दे पर संसद में बहस कराया जाना जरूरी है।


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