11 दिसंबर से आठ जनवरी तक चलेगा संसद का शीतकालीन सत्र
लोकसभा चुनाव से पहले संभवत: यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली इस सरकार का आखिरी पूर्णकालिक सत्र होगा।
नई दिल्ली, प्रेट्र। करीब एक माह चलने वाला संसद का शीतकालीन सत्र 11 दिसंबर (दिन मंगलवार) को शुरू होगा। इसी दिन पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों की घोषणा भी होगी।
आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीपीए) ने मंगलवार की रात को ही यह फैसला लिया। कमेटी की सिफारिश के मुताबिक शीत सत्र आठ जनवरी, 2019 तक चलेगा। लोकसभा चुनाव से पहले संभवत: यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली इस सरकार का आखिरी पूर्णकालिक सत्र होगा।
लिहाजा, इस सत्र में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस का बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है। खासकर जब सत्र के पहले दिन ही विधानसभा चुनावों की मतगणना का असर संसद की कार्यवाही पर पड़ेगा। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के विधानसभा चुनाव के नतीजे 11 दिसंबर को ही आएंगे। इसमें एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में भाजपा का शासन है जबकि तेलंगाना में तेदेपा और मिजोरम में कांग्रेस गठबंधन की सरकार है।
उल्लेखनीय है कि संसद का शीतकालीन सत्र आमतौर पर पहले नवंबर में शुरू होता था। लेकिन यह लगातार दूसरा साल है जब यह दिसंबर में आहूत हो रहा है। हालांकि इस साल सत्र में देरी का कारण पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हैं।
पार्टियों से सहयोग की अपील
संसदीय मामलों के राज्यमंत्री विजय गोयल ने अगले संसद सत्र के 11 दिसंबर से आठ जनवरी तक चलने की पुष्टि करते हुए बताया कि शीत सत्र में कामकाज के पूरे बीस दिन मिलेंगे। इस सत्र के दौरान संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने के लिए वह सभी राजनीतिक दलों के सहयोग और समर्थन की अपेक्षा करते हैं।
तीन तलाक पारित कराने पर जोर
इस दौरान केंद्र सरकार राज्यसभा में लंबित एक साथ तीन तलाक के बिल को पारित कराने के भरपूर प्रयास करेगी। सरकार इसे अमलीजामा पहनाने के लिए इस संबंध में एक अध्यादेश भी ला चुकी है। वहीं भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह इस सत्र में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए एक प्राइवेट बिल लाएंगे। इसके अलावा, मोदी सरकार के एजेंडे में इसी सत्र में इंडियन मेडिकल काउंसिल संशोधन अध्यादेश और कंपनियों के संशोधन अध्यादेश को भी बतौर बिल पारित कराने की कोशिश करेगी। लोकसभा में इस बार 15 बिलों पर चर्चा होनी है। जबकि राज्यसभा में आठ विधेयक होंगे।